गूगल ने डूडल बना कर अनोखे अंदाज में बच्चों को दिया मेसेज
आज के इस भागदौड़ और हाई टेक्नोलॉजी से भरी जिंदगी में हमने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया है। जिनमें हमारे बचपन की यादें जो की बहुत ही खास होती है, हर किसी के अपने किस्से होते है , कुछ चटपटी यादें होती है जिनका लुफ्त हम बड़े होने पर उठाते है। लेकिन आज इन सभी बातों पर धूल की परत जम गई है, जिसे अब नहीं हटाया तो आने वाले कुछ सालों में हम सब एक निर्जीव वस्तु की तरह जीवन बिताएंगे।
हर वर्ष की 14 नवंबर को पूरा देश बाल दिवस रूप में अपने बचपन को याद करता है , यह दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है। चाचा को बच्चों से बहुत स्नेह और प्यार था इसीलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में भारत में मनाया जाता है
बता दें इस बाल दिवस 2019 पर गूगल ने ‘द वॉकिंग ट्री’ शीर्षक का एक डूडल का चित्र पेश किया है, जिसे सात वर्षीय दिव्यांशी सिंघल ने बनाया है । भारत में बाल दिवस के लिए गूगल के तकनिकी दिग्गजों ने एक उचित डूडल पाने के लिए भारत के कक्षा एक से 10 तक के बच्चों को आमंत्रित किया था, जिसमें से दिव्यांशी का चित्र चुना गया ।
चित्र बनाने के लिए गूगल ने बच्चों को एक विषय दिया था कि “जब मैं बड़ा हो जाऊंगा मुझे आशा है…” बच्चों को इसी विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए चित्र बनाने थे । गूगल को 1.1 लाख से अधिक बच्चों ने अपने चित्र भेजे थे , जिनमें बच्चों ने डूडल के लिए समुन्द्र की सफाई से लेकर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उड़ान भरने तक जैसे अपने कई रचनात्मक विचार भेजे। पिछले तेरह महीनों से चल रही यह प्रतियोगिता भारत के 50 शहरों में हुई थी। जिसमें आखिरी में गुड़गांव की सात वर्षीय दिव्यांशी सिंघल विजेता रहीं।
दिव्यांशी ने अपने चित्र में पेड़ो को चलते हुए दिखाया है । दिव्यांशी का कहना है कि,”जब तक मैं बड़ी होती हूं मुझे उम्मीद है कि दुनिया में पेड़ चल और उड़ सके , जिससे पेड़ो को मारे बिना भी जमीन की सफाई की जा सकती है इस तरह बहुत कम पेड़ो की कटाई होगी और मनुष्य अपने पेड़ दोस्तों को दूसरी जगह जाने को कह सकेगा।”
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