आगामी चार दिनों में , देश के अहम मुद्दों की सुनवाई
मुंबई – भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए नवंबर महीने की शुरुआत बड़ी शानदार रही है , जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के 5 न्यायधीशों की बेंच में बरसों पुराना अयोध्या का मसला पूरे धर्म निरपेक्ष एवं दोनों पक्षों के हक में सुनाया गया है।
इस संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता कर रहे है , भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई। जिनका कार्यकाल इस महीने की 17 तारीख को समाप्त हो रहा है । सेवा निवृत्ति के पूर्व ये ऐसे न्यायाधीश बन चुके है , जिन्हें भारत के इतिहास में हमेशा के लिए याद रखा जाएगा।
रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने में बस 4 दिन का समय शेष बचा है। इन 4 दिनों में न्यायमूर्ति कुछ बड़े फैसलों पर सुनवाई कर सकते हैं।इन फैसलों में सबरीमाला कि पुनर्विचार याचिका, राफेल, मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर को सूचना के अधिकार(आरटीआई) के अंतर्गत, वित्त अधिनियम 2017 एवं राहुल गांधी पर लगा अवमानना का मामला शामिल है।
17 नवंबर से पहले की सुनवाई
1) सबरीमाला
सितंबर 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र के महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दी थी। इससे पहले सबरीमाला में 10 से 50 वर्ष तक कि महिलाओं को प्रवेष की अनुमति नहीं थी। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार पूजा करना भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है और मंदिर में प्रवेश न देकर यह मौलिक अधिकार की अवहेलना हो रही थसर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले पर एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी जिसका फैसला न्यायमूर्ति रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होने से पहले सुनाएंगे।
2) राफेल
पिछले वर्ष सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को राफेल के मामले में क्लीन चिट दे दिया था , जिसपर पूर्व केंद्रीय मंत्री – यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा प्रशांत भूषण समेत कुछ अन्य ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश इसपर भी फैसला सुना सकते हैं। वहीं 2019 का लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को राफेल के मुद्दे पर हर जन सभा में घेरा था,और पूरा चुनाव राफेल के मसले पर लड़ा था।
3)मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर को सूचना अधिकार के अंतर्गत लाना
इस याचिका में मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर को आरटीआई के अंतर्गत लाने की अर्जी दी गई है।आरटीआई कार्यकर्ता सुभाषचंद्र अग्रवाल ने यह याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली 4 सदस्यों वाली संविधान पीठ इसपर फैसला सुनाएगी। इसी वर्ष 4 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसपर फैसला 17 नवंबर के पहले आने की संभावना है।
4) राहुल गांधी पर लगा अवमानना का मामला।
‘चौकीदार चोर है’ यह नारा जिसके साथ कांग्रेस पार्टी ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने का भरपूर प्रयास किया था जो कि राहुल गांधी के लिए परेशानी का सबब बन गया। राहुल गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय के राफेल पर दिए फैसले को चौकीदार चोर है के अपने आरोपों से जोड़ दिया था। इसी को लेकर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की थी।
इस याचिका पर भी न्यायमूर्ति रंजन गोगोई सेवानिवृति के पहले फैसला दे सकते हैं।
5) वित्त अधिनियम 2017
वित्त अधिनियम 2017 पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इसी साल के अप्रैल में फैसला सुरक्षित कर लिया था।इसकी भारी सम्भावना है की इसका फैसला भी 17 नवंबर के पहले आ जाएगा।
4 दिन में ये फैसले आने की संभावना।
17 तारीख को न्यायमूर्ति रंजन गोगोगी सेवानिवृत्त होने वाले हैं जिसके अनुसार देखा जाए तो उनके पास अब सिर्फ 4 दिन बचे है। फैसला सुनाने के लिए 17 तारीख का पूरा दिन के साथ सेवानिवृत्ति की सभी औपचारिकताएं सम्पन्न कराने में बीत जाएगा, जिस कारण उस दिन फैसला सुनाना सम्भव नहीं हो पाएगा।
इसी बीच रंजन गोगोई सह परिवार कामाख्या देवी के मंदिर उनके दर्शनों के लिए पहुंचे। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होने के पहले यह सब मामलों पर अपना फैसला सुना देना चाहते हैं। कुल मिलाकर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के बतौर मुख्यन्यायाधीश की यह अंतिम पारी बड़ी शानदार होगी।
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