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कम्पनियों का हो रहा बहिस्कार, चीन को बड़ा झटका देने में भारत की तैयारी

मुंबई – गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत में अब चीन को सबक सिखाने के लिए एक के बाद एक तैयारियां की जा रही है, जहां भारत के व्यापारी और आम लोगों द्वारा चीन के सामान का बहिष्कार किया जा रहा है, तो वही सरकारें भी चीन को लेकर एक के बाद एकअहम फैसले ले रही है |

दरअसल, ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने मंगलवार को व्यापार जगत के नेताओं से कहा, ‘जो देश हमारे के प्रतिकूल या संभावित विरोधी है उन्हें पूर्व संदर्भ देशों के रूप में पहचाना जाएगा, और उनसे किसी भी उपकरण को आयात करने से पहले सरकार की अनुमति आवश्यक होगी, बिजली क्षेत्र के लिए विदेशी उपकरणों का कठोर परीक्षण भी इसमें शामिल होगा’ |

चीन को कड़ी चोट पहुंचाने के लिए, मुख्य रूप से बिजली के क्षेत्र में चीनी उपकरणों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से यह नीतियां बनाई गई हैं, यह नीतियां पारंपरिक और हरित ऊर्जा दोनों क्षेत्र में बिजली उत्पादन, वितरण और ट्रांसमिशन परियोजनाओं पर लागू होगा |

आपको बता दें सरकार इतने अहम फैसले इसलिए ले रही है, क्यों कि मई 2020 से ही चीन एलएसी पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है, भारतीय सैनिकों द्वारा बार-बार समझाए जाने पर भी चीनी सैनिक अपने वास्तविक जगह पर वापस जाने के लिए तैयार नहीं थे, जिसको लेकर कुछ दिन पहले ही चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए, हालांकि भारतीय सैनिकों ने भी चीनी सैनिकों को मुंह तोड़ जवाब दिया है, भारत सरकार ने तो अपने शहीद हुए सैनिकों के बारे में पूरी जानकारी दी और सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, लेकिन हिंसक झड़प के दौरान चीन के कितने सैनिकों की मौत हुई चीन सरकार ने अब तक इस बात को नहीं स्वीकारा ।

इस हिंसक झड़प के बाद चीन अब भारत में साइबर अटैक करने की कोशिश कर रहा है जिसको लेकर भारत मे पहले ही चेतावनी दिया गया है, भारत में चीनी सामानों का भारी मात्रा में इस्तेमाल होता है, हालांकि हमारे 20 जवानों के शहीद होने के बाद अब भारत में चीनी सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है ।

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी चीनी सामान के बहिष्कार में अहम फैसला लिया हैं सरकार ने राज्य में चीन के बने बिजली मीटर को लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है, और इसका विवरण भी मांगा है कि पिछले 1 साल में चीन में बने मीटर और अन्य उपकरणों का ऑर्डर कहां-कहां दिया गया है ,और किन-किन चीनी कंपनियों को काम दिया गया है , ताकि इस पर नियंत्रण किया जा सके इसके अलावा अब भारत सरकार भी स्थानीय बिजली उपकरण (मेड इन इंडिया) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर रही है ।
वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार ने चीन के साथ सीमा पर जारी तनातनी के चलते चीनी कंपनियों से किया हुआ 5000 करोड़ रुपए का करार रोक दिया। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार ने बीते दिनों मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 इन्वेस्टर मीट के दौरान तीन चाइनीज कंपनियों के साथ 5000 करोड़ रुपए के निवेश का करार किया था। अब राज्य सरकार ने इस करार को रोक दिया है। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने बताया कि “यह फैसला केन्द्र सरकार से बातचीत के बाद लिया गया है। विदेश मंत्रालय ने सलाह दी है कि चीनी कंपनियों के साथ आगे कोई एग्रीमेंट ना किया जाए।” जिन एग्रीमेंट पर फिलहाल रोक लगायी गई है, उनमें ग्रेट वाल मोटर्स (GWM) 3770 करोड़ रुपए का ऑटोमोबाइल प्लांट प्रोजेक्ट है, जो कि पुणे के नजदीक तालेगांव में लगना था।

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