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देशभक्ति की कोई उम्र नहीं होती,‌ पॉकेट मनी से की देश की सेवा

मुंबई : देश के लिए अपना प्यार और सम्मान दिखाने की कोई उम्र नहीं होती। जिसका मिसाल मुंबई के बच्चों ने दिया है। बच्चों ने अपने जमा पूंजी से चल रहे इस महामारी के संकट में मजदूर और मजबूर लोगों की मदद कर उनको जरूरतों को पूरी करने का बीड़ा उठाया है।

बता दें जहां देश इस कोविड – 19 की महामारी से जूझ रहा है , वहीं मुंबई शहर के मलाड इलाके में रहने वाले बच्चों ने इस वायरस से लड़ने के लिए मजबूत इरादों के साथ सामने आए है , जहां बच्चों ने जरूरतमंदों की जरुरत को पूरी करने के लिए अपने गुल्लक में जमा की गई पूंजी को निकालकर अनाज और बाकी जरूरत की चीजें खरीद कर दे रहे हैं। मलाड में रहने वाले इन बच्चों ने भारत विकास परिषद के साथ मिलकर 800 जरूरतमंदों को अनाज मुहैया करवा कर उनकी मदद की।

सोसाइटी के बच्चे अपने घर में अनाज की पैकिंग करके सोसायटी के बड़ों की मदद से हर जरूरतमंदों को अनाज पहुंचा रही है। इन सभी का मानना है कि,”भूख जब तक मिटती रहेगी, तब तक कोई घर से बाहर नहीं आएगा और कोरोना संक्रमण का चैन टूटेगा।
“तभी इंडिया जीतेगा कोरोना हारेगा” ।

मदद के तौर पर खाना बनाने की सारी सामग्री पैकेट में पैक करके दे रहे हैं। आटा ,चावल ,दो तरह की दाल नमक व शक्कर।

यह सामान छोटे परिवार के लिए 15 से 20 दिन के लिए काफी है। शुरूआत इन्होंने अपने आसपास रहने वाले मजदूर ,गरीब और जरूरतमंदों से किया। इस मुहिम को शुरुआत करने का कारण जब बच्चों ने देखा कि, मीडिया अन्य राज्यों में से पलायन करने वाले मजदूरों की तस्वीरें दिखा रही है, जिसमें अधिकतर मजदूर का कहना था कि, खाना और पैसे ना होने की वजह से वह अपने घर जाने के लिए बेबस है। यह सोच लेकर उन्होंने उनकी मदद करने के लिए ऐसे पैकेट बांटना शुरू किया था कि लोग राज्य छोड़कर ना जाए और कोरोना को बढ़ने से रोक सकें।

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