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समुदाय कि असमानता ने प्रेमी जोड़ों को किया मजबूर , मुंबई उच्चन्यालय में लगाई गुहार

19 वर्ष कि प्रियंका शेटे ने अपने स्वयं के माता-पिता और चाचा से जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षण के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया , जिसके चलते न्यायाधीश आर.आई छागला और एम.एस कर्णिक ने आवेदन स्वीकर करते हुए 7 मई 2019 को सुनवाई कि तारिख निर्धारित कि है।

साल 2016 में मराठी फ़िल्म सैराट रिलीज हुई थी , जहां कहानी का मुख्य आधार असमान जाति थी , ऐसा ही कुछ कहानी है प्रियंका शेटे और विराज अवघडे कि , जहां एक बार फिर जाति समान न होने के कारण दोनो को जान से मारने कि धमकियां परिवार से मिल रही है, जहां दोनों को उम्र 19 वर्ष कि है , हालांकि दोनों ही नाबालिग है जिसके चलते
माता-पिता दोनो के प्रेम संबंध और रिश्ते के खिलाफ हैं ,लेकिन मुख्य कारण जाति है, जहां लड़की मराठा के उच्च जाति कि है, जबकि लड़का मातंग समुदाय से है जो कि अनुसूचित जाति है ।

वहीं पीड़िता के वकील नितिन सतपुते से मिली जानकारी के मुताबिक 22 मार्च को लड़की के चाचा ने पिस्तौल दिखाकर प्रियंका और उसके प्रेमी को जान से मारने की धमकी दी थी। जिसके चलते प्रियंका एक बार आत्महत्या करने कि भी कोशिश कर चुकी है।

प्रियंका कि मांग है कि वो अपने प्रेमी के साथ रहना चाहती है , जिसके चलते प्रियंका ने वकील नितिन सतपुते कि मदद से मुंबई के उच्चन्यालय में याचिका दायर कि है, जिसकी सुनवाई 7 मई को होगी ।

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