हीट वेव से निपटने के लिए ‘एसी जैकेट’ का अविष्कार, जानें इसकी विशेषता
गुरुग्राम (हरियाणा): भीषण गर्मी से राहत दिलाने के लिए, गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस ने एक अनोखी पहल के तहत अपने अधिकारियों को एयर-कंडीशन्ड जैकेट्स प्रदान की है। ये बैटरी-संचालित जैकेट्स पंखे और बर्फ पैड से लैस हैं, जिनका उद्देश्य कर्मियों को तेज धूप में ठंडक पहुँचाना है। फिलहाल यह पहल परीक्षण चरण में है।
असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ट्रैफिक) सुखबीर सिंह ने बताया, “हीट वेव को ध्यान में रखते हुए कूलिंग जैकेट्स को नमूने के रूप में उपलब्ध कराया गया है।” ये पंखे चार से पांच घंटे तक काम करते हैं और इन्हें आसानी से उपलब्ध चार्जिंग पॉइंट्स से रिचार्ज किया जा सकता है। हालांकि, इन जैकेट्स की कुल प्रभावशीलता पर अभी भी परीक्षण जारी है।
ऊपरी शरीर को ठंडा रखने के लिए डिज़ाइन की गई इन जैकेट्स ने परीक्षण के दौरान मिक्स्ड प्रतिक्रियाएं प्राप्त की हैं। कुछ अधिकारियों ने इन्हें बहुत आरामदायक पाया और अपने कार्यों में सुधार महसूस किया। लेकिन, कुछ चुनौतियाँ भी सामने आईं।
ट्रैफिक पुलिस ज़ोनल अधिकारी मनफूल सिंह ने बताया, “ये जैकेट्स भारी हैं और बर्फ पैड तेजी से पिघलते हैं, जो केवल लगभग दो घंटे तक टिकते हैं। इसके बाद इन्हें पुनः जमाने के लिए फ्रीजर की आवश्यकता होती है, जो सड़कों पर उपलब्ध नहीं होते। इसके अलावा, केवल ऊपरी शरीर को ठंडा करना तापमान असंतुलन और संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।”
गुरुग्राम में जारी चरम गर्मी और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा येलो अलर्ट जारी किए जाने के बीच, शहर की ट्रैफिक पुलिस इन उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन (measures) कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि इन जैकेट्स का सही तरीके से उपयोग करके हीट वेव से निपटने में मदद मिल सकती है, लेकिन इनसे जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालना आवश्यक है।
निष्कर्ष
गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस का यह कदम हीट वेव से निपटने में एक महत्वपूर्ण और अभिनव प्रयास है। हालांकि, इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कैसे इन जैकेट्स की चुनौतियों का समाधान किया जाता है और उन्हें व्यावहारिक रूप से उपयोग में लाया जाता है। यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो यह न केवल गुरुग्राम बल्कि अन्य शहरों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है, जहाँ ट्रैफिक पुलिस को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। इस पहल के परिणामस्वरूप अन्य विभागों और राज्यों में भी ऐसी तकनीकी नवाचारों (innovations) के उपयोग को प्रेरणा मिल सकती है, जिससे कर्मियों के कार्यक्षेत्र में सुधार और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।