दीपावली के बाद यूपी और दिल्ली के कई शहरों की हवा में घुला जहर, बढ़ा प्रदूषण का स्तर

दीपावली का त्योहार बीतते ही उत्तर प्रदेश के कई शहरों की हवा में प्रदूषण का जहर घुल चुका है। पटाखों की आतिशबाजी के बाद वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे आम लोगों को सांस लेने में भारी परेशानी हो रही है। खासकर, राजधानी लखनऊ से लेकर आर्थिक राजधानी गौतमबुद्धनगर और अचरज का शहर आगरा तक का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) चिंता का विषय बन गया है।
यूपी के शहरों में प्रदूषण का हाल
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में दीपावली के बाद वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट दर्ज की गई है। आगरा के रोहता क्षेत्र में सुबह 9 बजे एक्यूआई 218 दर्ज किया गया, वहीं राजधानी लखनऊ के केंद्रीय विद्यालय स्टेशन पर एक्यूआई 268 तक पहुंच गया। अन्य शहरों की स्थिति भी गंभीर है: संभल में 384, मुरादाबाद में 373, मेरठ में 326, हापुड़ में 312, गाजियाबाद में 299, बुलंदशहर में 286, नोएडा में 273, कानपुर में 210, झांसी में 179, बागपत में 274, बरेली में 203, फिरोजाबाद में 228, गोरखपुर में 265, और ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 278 रहा। इन आंकड़ों से यह साफ जाहिर होता है कि दीपावली के बाद से ही प्रदूषण के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई है।
दिल्ली में प्रदूषण का खतरनाक स्तर, लोग मास्क लगाने को मजबूर
दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद भारी मात्रा में आतिशबाजी की गई, जिसके चलते यहां का एक्यूआई 400 के पास पहुंच गया। दीपावली के अगले दिन लोग सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए स्थिति बेहद गंभीर है। प्रदूषण से बचने के लिए दिल्लीवासियों को मास्क पहनने पर मजबूर होना पड़ा है। यहां तक कि घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। स्थानीय निवासी सुखदेव ने बताया कि उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही है और प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। उनका मानना है कि सरकार के दावे और वादे सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं; जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
प्रदूषण बढ़ाने में सफाई कार्य भी बना कारण
लोगों का यह भी कहना है कि सफाई के दौरान उड़ने वाली धूल भी प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रही है। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पूरी रात पटाखों की गूंज सुनाई दी, जिससे सुबह होते ही लोगों को दम घुटने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। साफ-सफाई के कार्य में लगने वाली झाड़ू से उड़ती धूल और पटाखों का धुआं मिलकर वायु गुणवत्ता को और भी खराब बना देते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए योजनाओं की कमी
वायु प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए लोगों को सरकार से सख्त और ठोस उपायों की अपेक्षा है। हालांकि, कई बार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्लान बनाए गए हैं, परंतु लोगों का मानना है कि जमीनी स्तर पर काम करने की कमी नजर आ रही है। खासकर दीपावली जैसे अवसर पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद उसका पालन नहीं हो पाना और प्रदूषण का स्तर बढ़ना चिंताजनक है।
प्रदूषण से निपटने के लिए विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता लोगों को सतर्क रहने और मास्क का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं। आने वाले समय में ठंड का मौसम भी बढ़ेगा, जिससे प्रदूषण और भी बढ़ सकता है। ऐसे में इस समस्या का समाधान ढूंढ़ना न केवल जरूरी बल्कि अनिवार्य हो गया है ताकि लोगों को स्वच्छ वायु में सांस लेने का अधिकार मिल सके।
Source IANS
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