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महाराष्ट्र में लड़कियों के बाद अब लड़कों के लिए भी विशेष योजना: ‘लाडला भाई योजना’ की घोषणा

कोल्हापुर: राज्य सरकार द्वारा बजट में ‘लाडली बहन योजना’ के तहत गरीब महिलाओं के लिए मासिक वजीफा (Stipend) की घोषणा के तीन सप्ताह बाद, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को ‘लाडला भाई योजना’ की घोषणा की। इस योजना के तहत नौकरी के प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को 6,000 रुपये से 10,000 रुपये का मासिक वजीफा मिलेगा, जो उनकी शिक्षा के स्तर पर निर्भर करेगा।

यह योजना ‘मुख्यमंत्री युवा कार्यप्रशिक्षण योजना’ का हिस्सा है, जिसे बजट में औद्योगिक और गैर-औद्योगिक (Non-Industrial) प्रतिष्ठानों में 10 लाख युवाओं को हर साल ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। शिवसेना (यूबीटी) ने महिलाओं के लिए योजना की घोषणा के बाद सवाल उठाया था कि ‘लाडला भाई ‘ के लिए कुछ क्यों नहीं किया जा रहा है। इस संदर्भ में शिंदे ने बुधवार को पंढरपुर में आयोजित आषाढ़ी एकादशी कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम लाडला भाई योजना की घोषणा कर रहे हैं… यह हमारी बेरोजगारी समस्या का समाधान है। उम्मीदवार प्रशिक्षण करेंगे और नौकरी पाएंगे। इसी के साथ उद्योगों को प्रशिक्षित जनशक्ति का लाभ मिलेगा।”

मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि “यह पहली बार है जब राज्य सरकार ने इस तरह की योजना शुरू की है।” उन्होंने बताया कि “लाडला भाई योजना के तहत बारहवीं पास उम्मीदवारों को 6,000 रुपये, डिप्लोमा धारकों को 8,000 रुपये, और स्नातक डिग्री धारकों (Graduate Degree Holders) को 10,000 रुपये का मासिक वजीफा मिलेगा।” यह वजीफा सरकार द्वारा फंड किया जाएगा और यह प्रशिक्षण के दौरान उद्योग में दिया जाएगा। इस योजना की लागत अनुमानित 10,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगी।

मुख्यमंत्री शिंदे की लाडला भाई योजना पर शिवसेना (यूबीटी) के आदित्य ठाकरे ने कहा, “सरकार को पूरे वर्ष के लिए पूरा राशि देना चाहिए। लोग सरकार पर विश्वास नहीं करते हैं। यह एक ‘जुमला’ है। वजीफा केवल कौशल विकास के छात्रों को ही दिया जाएगा।”

शरद पवार ने कहा कि दो नई योजनाएं लोकसभा चुनाव के परिणामों का नतीजा हैं। लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी ने राज्य में महायूति की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया था।

मुख्यमंत्री माझी लाडली बहन योजना के तहत राज्य बजट में घोषणा की गई थी कि शादीशुदा, तलाकशुदा, और निराश्रित महिलाओं को 21-60 वर्ष की आयु के बीच 1,500 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे, जिसके लाभार्थियों की वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये तक सीमित होगी। इस योजना की लागत अनुमानित 46,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगी।

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