अमेरिका ने चीन पर 125% टैरिफ लगाया, 75 देशों को दी राहत: वैश्विक व्यापार में नई हलचल

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध एक बार फिर चरम पर पहुंचता दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर 125 फीसदी टैरिफ लगाने का बड़ा फैसला लिया है। यह घोषणा उन्होंने खुद ट्रुथ सोशल पर की, जिससे वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मच गई है। इस कदम के साथ-साथ 75 अन्य देशों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया गया है, ताकि इन देशों के साथ ट्रेड टॉक का रास्ता खुला रहे।
क्यों उठाया गया यह कदम?
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने 9 अप्रैल को व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि
“चीन ग्लोबल मार्केट में अनुचित और असंतुलित तरीके से व्यापार कर रहा है। ऐसे में यह टैरिफ सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि उन सभी देशों के लिए है जो व्यापार नियमों का उल्लंघन करते हैं।”
बेसेंट ने आगे कहा कि अमेरिका भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापारिक मुद्दों पर सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है। भारत को उन्होंने टैरिफ वार्ता में सबसे आगे बताया।
भारत और एशियाई देशों के लिए सकारात्मक संकेत
वित्त मंत्री के अनुसार, अमेरिका उन देशों के लिए सकारात्मक प्रस्तावों पर विचार कर रहा है जो खुलकर टैरिफ वार्ता में हिस्सा लेंगे।
“ऐसे देशों के लिए पहले से लागू टैरिफ को 10 प्रतिशत तक घटाने पर विचार किया जा रहा है।”
इस बयान से भारत, जापान और साउथ कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापारिक संबंधों के मजबूत होने की संभावना जताई जा रही है।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया: अमेरिका बना केंद्रबिंदु
प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा,
“दुनिया आज चीन की ओर नहीं, अमेरिका की ओर देख रही है, क्योंकि उन्हें हमारे बाजार की ज़रूरत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि बाकी दुनिया अब चीन से दूरी बना रही है और अमेरिका को व्यापारिक भागीदार के रूप में प्राथमिकता दे रही है।
चीन की प्रतिक्रिया: जवाबी टैरिफ में बढ़ोतरी
अमेरिका के पहले 104 फीसदी टैरिफ के जवाब में चीन ने अपने 34% टैरिफ को बढ़ाकर 84% कर दिया था। इसके बाद अमेरिका ने अपने टैरिफ को और कठोर करते हुए 125% तक पहुंचा दिया। यह स्थिति वैश्विक व्यापार में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है, जहां ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का प्रभाव साफ नजर आ रहा है।
क्या है आगे की राह?
अब सवाल यह है कि यह व्यापारिक टकराव तनाव को और बढ़ाएगा या फिर यह नई व्यापारिक समझौतों और संतुलन की ओर ले जाएगा।
एक ओर जहां भारत और अन्य सहयोगी देशों के साथ बातचीत की उम्मीदें हैं, वहीं दूसरी ओर चीन के साथ बढ़ता टकराव वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष: सौदे की नई रणनीति
राष्ट्रपति ट्रंप की यह रणनीति स्पष्ट करती है कि अमेरिका अब सख्त व्यापार नीति अपनाने को तैयार है। चीन पर सख्ती और बाकी देशों को राहत देना, अमेरिका की कूटनीतिक व्यापार नीति का हिस्सा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत जैसे देश इस मौके का कितना लाभ उठा पाते हैं और क्या यह रणनीति वैश्विक व्यापार में नई दिशा तय करती है।
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