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अनुराग ठाकुर और अखिलेश यादव के बीच जाति विवाद पर तीखी नोकझोंक

पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखा जवाब देते हुए एक पुराना वीडियो साझा किया, जिसमें अखिलेश यादव एक पत्रकार से उसकी जाति और नाम के बारे में पूछते नजर आ रहे हैं। ठाकुर ने इस वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा, “जाति कैसे पूछ ली अखिलेश जी?”

विवाद की शुरुआत

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी की जाति का उल्लेख किया। ठाकुर ने कहा, “जिनकी जाति नहीं मालूम, वे जाति जनगणना की बात करते हैं। मैं अध्यक्ष महोदय को याद दिलाना चाहता हूं कि इसी सदन में एक पूर्व प्रधानमंत्री आरजी-1 ने ओबीसी के लिए आरक्षण का विरोध किया था।”

राहुल गांधी ने ठाकुर पर बहस के दौरान उन्हें अपमानित और गाली देने का आरोप लगाया, लेकिन कहा कि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री से माफी की मांग नहीं करेंगे।

अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया

अखिलेश यादव ने ठाकुर के बयान की उपयुक्तता पर सवाल उठाते हुए कहा कि संसद में कई मुद्दों पर चर्चा हुई है, जिसमें महाभारत भी शामिल है, लेकिन किसी की जाति पूछना अस्वीकार्य है। अखिलेश यादव ने कहा, “सदस्य एक बड़ी पार्टी का वरिष्ठ चेहरा है, वह मंत्री भी रह चुके हैं। सदन में कई मुद्दों को उठाया गया है, हमने यहां महाभारत पर भी बात की है, लेकिन मेरा एक सवाल है… कोई किसी की जाति कैसे पूछ सकता है?”

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ठाकुर के भाषण को साझा किया और इसे तथ्यों और हास्य का उत्तम मिश्रण बताते हुए आईएनडीआई गठबंधन की गंदी राजनीति को उजागर करने वाला कहा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा, “मेरे युवा और ऊर्जावान सहयोगी श्री अनुराग ठाकुर का यह भाषण अवश्य सुनें। तथ्यों और हास्य का उत्तम मिश्रण, आईएनडीआई गठबंधन की गंदी राजनीति को उजागर करता है।”

कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया

संसद में विवाद के बीच, कांग्रेस पार्टी ने कहा कि गांधी परिवार की जाति शहादत है, जो एक ऐसा सिद्धांत है जिसे बीजेपी-आरएसएस कभी नहीं समझ पाएंगे। कांग्रेस ने यह भी कहा कि गांधी परिवार ने अपने संघर्ष और बलिदान के माध्यम से देश की सेवा की है, और उनकी पहचान केवल जाति या अन्य राजनीतिक खेलों से नहीं की जा सकती।

इस विवाद ने भारतीय राजनीति में जाति और पहचान के मुद्दों पर एक बार फिर से चर्चा छेड़ दी है, और यह देखने वाली बात होगी कि यह बहस आगे किस दिशा में बढ़ती है।

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