HINDI NEWSभारत

केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों के संचालन पर रोक जारी, संक्रमण का खतरा बना कारण

उत्तराखंड की पवित्र और विश्वविख्यात केदारनाथ यात्रा 30 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से भगवान शिव के दर्शन को केदारनाथ धाम पहुंचते हैं। लेकिन इस वर्ष यात्रा के दौरान एक अहम चुनौती सामने आई है—यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों में संक्रमण फैलने के कारण उनके संचालन पर रोक अभी भी लागू है।

क्यों लगी है रोक?
उत्तराखंड सरकार के पशुपालन सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम ने बताया कि घोड़े-खच्चरों में बढ़ते संक्रमण और बीमारियों को देखते हुए स्थानीय लोगों, घोड़ा-खच्चर व्यवसायियों और संगठनों ने इनका संचालन रोकने की मांग की थी। इस पर संज्ञान लेते हुए यात्रा मार्ग पर इन जानवरों के संचालन पर लगी रोक फिलहाल जारी रखने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि इनके संचालन को लेकर स्थानीय जिला प्रशासन बाद में परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेगा।

13 घोड़े-खच्चरों की हुई मौत
रविवार और सोमवार को केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 13 घोड़े-खच्चरों की मृत्यु की सूचना सामने आई। इनमें से 8 की मौत डायरिया और 5 की एक्यूट कोलिक नामक बीमारी के कारण हुई। मृत जानवरों के नमूने उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) भेजे गए हैं ताकि बीमारी की सटीक जानकारी मिल सके।

22 से अधिक चिकित्सकों की टीम तैनात
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने यात्रा मार्ग पर 22 से अधिक डॉक्टरों की विशेष टीम को तैनात किया है। ये टीमें बीमार और अस्वस्थ जानवरों को यात्रा में शामिल होने से रोक रही हैं। वहीं, स्वस्थ पाए गए जानवरों के नमूनों की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें संचालन की अनुमति दी जाएगी।

16,000 घोड़ों की हुई जांच, 152 में मिले लक्षण
डॉ. पुरुषोत्तम ने बताया कि एक महीने पहले रुद्रप्रयाग जिले के दो गांवों में लिए गए नमूनों में कुछ घोड़ों में एक्वाइन इंफ्लुएंजा के लक्षण पाए गए थे। इसके बाद 30 अप्रैल तक कुल 16,000 घोड़े-खच्चरों की जांच की गई, जिनमें से 152 के सीरो नमूने पॉजिटिव मिले, हालांकि आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव रही।

श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी
11,500 फुट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 16 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई तय करनी होती है। इस कठिन यात्रा में बड़ी संख्या में लोग पालकी, पिट्ठू या घोड़े-खच्चरों का सहारा लेते हैं। ऐसे में इन जानवरों पर रोक लगने से असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

निष्कर्ष
सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम भले ही अस्थायी रूप से श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का कारण हो, लेकिन यह जानवरों की सुरक्षा और संक्रमण नियंत्रण के लिहाज से बेहद जरूरी है। उम्मीद की जा रही है कि जांच पूरी होने और हालात सामान्य होने पर जल्द ही घोड़े-खच्चरों का संचालन फिर से शुरू किया जा सकेगा।

नवीनतम अपडेट और रोमांचक कहानियों के लिए हमें ट्विटर, गूगल न्यूज और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें और फेसबुक पर हमें लाइक करें।

Show More

Leave a Reply

Back to top button