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लखनऊ में अधिकारियों का बड़ा खेल: फर्जी आवंटियों के जरिए करोड़ों की हेराफेरी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भ्रष्ट अधिकारियों की बड़ी कारगुजारी सामने आई है, जिसने हड़कंप मचा दिया है। यह घोटाला डिफेंस कॉरिडोर परियोजना से जुड़ा है, जिसके तहत भटगांव की जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली की गई। अधिकारियों और कुछ दलालों ने मिलकर फर्जी आवंटियों के नाम पर जमीन खरीदकर उसे यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) को ऊंची कीमत पर बेचकर करोड़ों का घोटाला कर दिया।

कैसे हुआ घोटाला?
जब अधिकारियों को साल 2021 में डिफेंस कॉरिडोर परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण की जानकारी मिली, तो उन्होंने भ्रष्टाचार की नई कहानी लिख दी।

  1. पहले फर्जी आवंटियों से मात्र 8 लाख रुपये में जमीन खरीदी गई।
  2. इसके बाद उसी जमीन को यूपीडा को 54 लाख रुपये में बेच दिया गया।
  3. इस तरह सरकारी खजाने को बड़ा चूना लगाया गया और दलालों की जेब भर गई।

10 दिनों में हुआ पूरा खेल
यह पूरा घोटाला सिर्फ दस दिनों में अंजाम दिया गया।

  1. पहले फर्जी आवंटियों को जमीन बेचने का अधिकार दिलाया गया।
  2. फिर दलालों ने उनसे जमीन खरीदी।
  3. इसके बाद तेजी से यूपीडा को ऊंची कीमत पर बेच दिया गया।

आमतौर पर ऐसी प्रक्रियाएं महीनों लगती हैं, लेकिन इसमें मात्र 10 दिनों के अंदर फाइलें पास हो गईं और धांधली को अंजाम दे दिया गया।

जानिए कैसे अधिकारियों ने रचा घोटाला?

पहला मामला:

  • परीदीन की पत्नी रामादेवी ने 4 जुलाई 2021 को खतौनी में नाम दर्ज करवाने के लिए एसडीएम सरोजिनीनगर को अर्जी दी।
  • 26 जुलाई को रजिस्ट्रार कानूनगो ने रिपोर्ट तहसीलदार को भेजी।
  • इस फाइल पर एसडीएम की कोई स्वीकृति या अनुमोदन नहीं था।
  • लेखपाल की रिपोर्ट में भी हेराफेरी कर ‘कब्जा व दखल’ की मंजूरी दी गई।
  • 22 अक्टूबर 2021 को परीदीन के बेटे मुकेश, मनोज, धर्मेंद्र और पत्नी रामादेवी के नाम यह जमीन दर्ज हो गई।
  • संक्रमणीय घोषित होने से पहले ही इन लोगों ने बिना कब्जा लिए जमीन का अनुबंध कर दिया।

दूसरा मामला:

  • 3 अगस्त 2021 को दुलारे के वारिसों के नाम खतौनी में दर्ज किया गया।
  • 18 दिन बाद 21 अगस्त को उन्हें संक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिया गया।
  • 25 सितंबर को वारिसों ने प्रतीक नाम के व्यक्ति को यह जमीन मात्र 5 लाख रुपये में बेच दी।
  • प्रतीक ने बाद में इसी जमीन को यूपीडा को 20.20 लाख रुपये में बेच दिया और मुआवजा ले लिया।

सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान
इस तरह फर्जी आवंटियों, दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया।

  1. 8 लाख में खरीदी जमीन को 54 लाख में बेचना – यह साफ दर्शाता है कि घोटालेबाजों ने सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग किया।
  2. इस मामले में कई बड़े अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है।

सरकार को जल्द उठाने होंगे सख्त कदम
लखनऊ में हुआ यह डिफेंस कॉरिडोर घोटाला उत्तर प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। सरकार को इस मामले में सख्त जांच करानी होगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी ताकि भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोका जा सके।

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