हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को बड़ा झटका, चटगांव कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज

बांग्लादेश में हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को चटगांव कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका चटगांव कोर्ट ने खारिज कर दी। इस फैसले के बाद उनके वकील अब हाई कोर्ट का रुख करने की तैयारी कर रहे हैं।
कोर्ट में पेशी और याचिका खारिज
चिन्मय कृष्ण दास को 2 जनवरी 2025 को कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव कोर्ट में पेश किया गया। डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट में जज ने करीब 30 मिनट तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। इसके बाद जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
चिन्मय कृष्ण दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट और चटगांव बार एसोसिएशन के सदस्य हैं। उन्होंने कहा, “मुझे केस को आगे बढ़ाने के लिए किसी स्थानीय वकील की मुहर की जरूरत नहीं है। अब हम इस मामले को हाई कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।”
कोर्ट की कार्यवाही समाप्त होने के बाद पुलिस सुरक्षा के तहत सुप्रीम कोर्ट के 11 वकील दो मिनी बसों में सवार होकर अदालत परिसर से रवाना हुए।
गिरफ्तारी और आरोप
हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उन पर बांग्लादेश के झंडे का अपमान करने के आरोप में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।
इस गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश और अन्य देशों में हिंदू संगठनों और उनके समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (BHBCOP) ने चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ दर्ज मामले को झूठा करार दिया। संगठन ने इसे उत्पीड़न का मामला बताया।
जमानत याचिका पर सुनवाई का घटनाक्रम
इससे पहले, 3 दिसंबर 2024 को चटगांव कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के लिए 2 जनवरी 2025 की तारीख तय की थी। लेकिन वकील की उपस्थिति और मान्य पावर ऑफ अटॉर्नी की कमी के चलते याचिका को खारिज कर दिया गया था।
विरोध और समर्थन
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ बांग्लादेश के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आवाज उठाई जा रही है। कई हिंदू संगठनों ने इस गिरफ्तारी को धार्मिक उत्पीड़न करार दिया है। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (BHBCOP) ने 29 दिसंबर 2024 को चिन्मय दास के खिलाफ मामले को झूठा बताया और कहा कि यह पूरी कार्रवाई उन्हें परेशान करने के उद्देश्य से की गई है।
आगे की रणनीति
चिन्मय कृष्ण दास के वकीलों की टीम अब हाई कोर्ट में जमानत की अपील करेगी। वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने इस मामले को जल्द से जल्द आगे बढ़ाने का भरोसा जताया है।
निष्कर्ष
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और कोर्ट के फैसले ने बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद यह देखना होगा कि हाई कोर्ट में इस मामले का क्या रुख रहता है।
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