HINDI NEWSभारत

पटना में छात्रों पर बर्बर लाठीचार्ज: विपक्ष का सवाल – क्यों मौन हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार?

बिहार की राजधानी पटना में छात्रों के साथ पुलिस द्वारा की गई बर्बरता की तस्वीरों ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है। हर तरफ से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इतना निर्दयी होने की आवश्यकता क्यों पड़ी? विपक्षी दल पूछ रहे हैं कि क्या छात्र सरकार से कोई असंभव मांग कर रहे थे, जिसके चलते उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया?

तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि छात्र पुलिस के सामने हाथ जोड़ रहे हैं, लेकिन पुलिस की लाठियां थमने का नाम नहीं ले रही थीं। दिसंबर महीने में यह तीसरी बार है जब बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ है।

विपक्ष ने साधा निशाना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मौन पर विपक्ष ने तीखे सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि छात्रों के साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया जा रहा है जैसे वे अपराधी या आतंकवादी हों। रविवार रात जब पटना के गर्दनीबाग में ठंड के बीच छात्र शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे, तब उन पर पानी की बौछार करवाना और लाठीचार्ज करना किस हद तक जायज़ था? इस हिंसा में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए।

क्या है पूरा मामला?
यह विवाद 13 दिसंबर को हुई बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा से शुरू हुआ। पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी के आरोप लगे, जिसके चलते वहां की परीक्षा रद्द कर दी गई। अब 12,000 छात्रों को फिर से परीक्षा देनी होगी। बिहार में कुल 912 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, लेकिन छात्रों का आरोप है कि गड़बड़ी सिर्फ एक केंद्र तक सीमित नहीं थी।

छात्र गर्दनीबाग में धरना देकर पूरी परीक्षा रद्द करने और बीपीएससी चेयरमैन को हटाने की मांग कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि पूरे राज्य में गड़बड़ी हुई है और जब तक पूरी परीक्षा रद्द नहीं होगी, उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

छात्रों की मांग

  1. पूरी परीक्षा रद्द हो: छात्रों का आरोप है कि सिर्फ बापू परीक्षा केंद्र की परीक्षा रद्द करना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि गड़बड़ी पूरे राज्य में हुई है।
  2. री-एग्जाम हो: छात्रों का कहना है कि पूरे राज्य में परीक्षा दोबारा कराई जाए।
  3. बीपीएससी चेयरमैन को हटाया जाए: छात्रों का दावा है कि इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार चेयरमैन को पद से हटाया जाना चाहिए।

राजनीतिक षड्यंत्र का आरोप
इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक चुप्पी साध रखी है। वहीं, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता नीरज कुमार ने इस आंदोलन को राजनीतिक षड्यंत्र बताया है। उनका कहना है कि बिना मेहनत के नौकरी मिलने की प्रक्रिया कुछ लोगों को हजम नहीं हो रही है और यही वजह है कि यह मुद्दा उछाला जा रहा है।

आरजेडी ने किया हमला
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस बर्बरता को “इमरजेंसी जैसी स्थिति” करार देते हुए मुख्यमंत्री पर सीधा हमला बोला है। तेजस्वी यादव ने छात्रों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा और सवाल किया कि जब छात्र सड़कों पर पीटे जा रहे हैं, तब मुख्यमंत्री आखिर कहां हैं?

राज्य सरकार की चुप्पी
राज्य सरकार के किसी भी वरिष्ठ नेता ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और शिक्षा मंत्री ने भी कोई ठोस बयान नहीं दिया।

प्रशांत किशोर का गंभीर आरोप
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पुलिस की कार्रवाई को लेकर एक और गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज में घायल हुए छात्रों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उन्हें बेड से हटाकर जमीन पर लिटा दिया गया। उन्होंने इसे प्रशासन की असंवेदनशीलता करार दिया।

छात्रों के आंदोलन की गूंज दिल्ली तक
इस घटना ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है। दिल्ली में भी छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग उठ रही है। लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है।

क्या कहते हैं छात्र?
छात्रों का कहना है कि वे केवल न्याय की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार डर गई है और इसी डर के कारण उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से भी रोका जा रहा है।

आगे क्या?
छात्रों के इस आंदोलन ने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुश्किल में डाल दिया है। विपक्षी दल इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री और उनकी सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।

नवीनतम अपडेट और रोमांचक कहानियों के लिए हमें ट्विटर, गूगल न्यूज और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें और फेसबुक पर हमें लाइक करें।

Show More

Leave a Reply

Back to top button