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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण को लेकर विवाद: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लगाए गंभीर आरोप

दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर बनाने की योजना पर देश के कई हिस्सों में विरोध हो रहा है। अब ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मुद्दे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि केदारनाथ में सोने का घोटाला हुआ है, जिसे अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “केदारनाथ में 228 किलो सोना गायब कर दिया गया है, लेकिन आज तक उस पर कोई जांच नहीं हुई है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?”

केदारनाथ घोटाला और दिल्ली में मंदिर निर्माण पर उठे सवाल

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “केदारनाथ में घोटाला करने के बाद अब दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। फिर एक नया घोटाला होगा।” उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों केदारनाथ धाम के नाम से राजधानी दिल्ली में मंदिर बनाने की जरूरत पड़ रही है। उन्होंने इसे केदारनाथ धाम की गरिमा और महत्व को कम करने का प्रयास बताया।

प्रधानमंत्री मोदी और शंकराचार्य की मुलाकात

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी के बाद शनिवार, 13 जुलाई 2024 को आयोजित शुभ आशीर्वाद सेरेमनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे। वहां शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी मौजूद थे। पीएम मोदी ने अनंत और राधिका को आशीर्वाद देने के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पास जाकर उनका आशीर्वाद लिया। इस मौके पर शंकराचार्य ने कहा, “नरेंद्र मोदी हमारे दुश्मन थोड़े हैं। हम उनके हितैषी हैं और हमेशा उनका हित चाहते हैं। जब उनसे कोई गलती होती है, तो हम उसे लेकर बोलते हैं।”

विरोध की वजह

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार, 14 जुलाई 2024 को भी नराजगी जाहिर की। उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों केदारनाथ धाम के नाम से राजधानी दिल्ली में मंदिर बनाने की जरूरत पड़ रही है। उनका मानना है कि इस कदम से केदारनाथ धाम की गरिमा और महत्व को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

निष्कर्ष

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर उठे विवाद और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के गंभीर आरोपों ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। जहां एक ओर केदारनाथ में सोने के घोटाले के आरोप हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में मंदिर निर्माण को लेकर गरमागरमी बढ़ रही है। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का समाधान कैसे निकलेगा और केदारनाथ धाम की गरिमा और महत्व को किस प्रकार से बरकरार रखा जा सकेगा।

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