उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा: काशी पर मंडरा रहा संकट

पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के बाद मैदानी क्षेत्रों में गंगा और अन्य प्रमुख नदियां उफान पर हैं। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बाढ़ की स्थिति बनती जा रही है, जिसमें धर्म नगरी काशी भी शामिल है। पिछले तीन-चार दिनों से गंगा के जलस्तर में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो बाढ़ का खतरा बढ़ा रही है।
गंगा का बढ़ता जलस्तर
वाराणसी में गंगा का जलस्तर 62.8 मीटर रिकॉर्ड किया गया है। राहत की बात यह है कि फिलहाल कुछ घंटों से गंगा का जलस्तर स्थिर है। बावजूद इसके, काशी के लगभग 20 से अधिक घाटों का संपर्क टूट चुका है, जिससे तटवर्ती क्षेत्र के लोगों को गलियों का सहारा लेना पड़ रहा है। छोटी नावों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है और बड़ी नावों पर लाइव जैकेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
एनडीआरएफ की तैयारियां
वाराणसी में एनडीआरएफ और जल पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं और बढ़ते जलस्तर पर कड़ी नजर रखी जा रही है। सहायक नदी वरुणा के जलस्तर में भी वृद्धि देखी गई है, जिससे हजारों लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
बाढ़ का प्रभाव
गंगा का जलस्तर बढ़ने से वाराणसी में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। तटवर्ती क्षेत्र के लोगों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ता है, जिससे उनका सामान्य जीवन प्रभावित होता है। घरों में पानी भर जाने से महीनों तक मुश्किलें बनी रहती हैं। गंगा घाट, तटवर्ती क्षेत्र के नाविक समाज और पंडा समाज को भी इससे काफी नुकसान होता है।
नदियों के उफान से उपजी समस्याएं
बाढ़ की स्थिति में तटवर्ती क्षेत्र के लोगों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बड़ी नावों पर सफर करने वाले लोगों को लाइव जैकेट पहननी पड़ती है, जो सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक है। गंगा घाटों का संपर्क टूटने से धार्मिक गतिविधियों पर भी असर पड़ता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
आने वाले दिनों की चुनौती
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए, आने वाले दिनों में गंगा के जलस्तर में क्या परिवर्तन होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें पूरी सतर्कता के साथ स्थिति को संभालने के लिए तैयार हैं। जनता से अपील है कि वे सावधानी बरतें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें ताकि किसी भी आपदा से बचा जा सके।
काशी के लोगों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सरकारी एजेंसियों की सतर्कता और जनता के सहयोग से इस संकट का सामना किया जा सकता है। आने वाले सप्ताहों में जलस्तर के बदलाव पर कड़ी नजर रखी जा रही है, जिससे स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
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