दिल्ली के जैतपुर स्थित नीमा अस्पताल में डॉक्टर की गोली मारकर हत्या: पुलिस कर रही हमलावरों की तलाश
दिल्ली के जैतपुर इलाके के नीमा अस्पताल में एक खौफनाक घटना सामने आई है, जहां दो हमलावरों ने यूनानी प्रैक्टिशनर डॉक्टर जावेद अख्तर की गोली मारकर हत्या कर दी। घटना के बाद से पुलिस हमलावरों की तलाश में जुटी हुई है, और इलाके में भारी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
कैसे हुई घटना?
नीमा अस्पताल के स्टाफ के अनुसार, देर रात करीब 16-17 साल के दो किशोर अस्पताल में अपनी चोट की ड्रेसिंग कराने आए थे। नर्सिंग होम के स्टाफ मोहम्मद कामिल ने उनमें से एक की ड्रेसिंग की। ड्रेसिंग के बाद दोनों ने डॉक्टर जावेद से दवाई की पर्ची बनवाने की बात कही और डॉक्टर के केबिन में चले गए। कुछ ही देर बाद अस्पताल स्टाफ को गोली चलने की आवाज सुनाई दी, और जब वे केबिन में पहुंचे तो डॉक्टर जावेद अख्तर खून से लथपथ पड़े थे। हमलावरों ने उनके सिर में गोली मारी थी।
पुलिस की प्रारंभिक जांच
पुलिस का मानना है कि यह घटना एक सुनियोजित टारगेट किलिंग हो सकती है, क्योंकि दोनों किशोर एक रात पहले भी अपनी चोट की ड्रेसिंग कराने आए थे और बिना किसी विवाद के डॉक्टर पर हमला किया गया। पुलिस सीसीटीवी फुटेज की मदद से हमलावरों की पहचान करने की कोशिश कर रही है। घटना स्थल से कोई महत्वपूर्ण सुराग जुटाने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व घटना से तुलना
इस घटना ने एक महीने पहले दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में हुई एक और हत्या की यादें ताजा कर दी हैं। उस घटना में जिम मालिक नादिर शाह की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस मामले में भी शूटर ने एक घंटे तक रेकी करने के बाद 11 गोलियां चलाई थीं। डॉक्टर जावेद की हत्या भी उसी तरह की सुनियोजित लग रही है, क्योंकि इसमें भी बिना किसी झगड़े या विवाद के हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी।
अस्पताल और इलाके में दहशत का माहौल
घटना के बाद से अस्पताल के स्टाफ और स्थानीय लोग डरे हुए हैं। तीन बेड वाले इस नर्सिंग होम में इस तरह की घटना ने सभी को चौंका दिया है। डॉक्टर जावेद अख्तर की मौत ने अस्पताल में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को सदमे में डाल दिया है।
निष्कर्ष
यह घटना दिल्ली में बढ़ते अपराध और टारगेट किलिंग के मामलों की ओर इशारा करती है। पुलिस जल्द से जल्द आरोपियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह घटना राजधानी के सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल उठाती है। डॉक्टर जावेद की हत्या न सिर्फ एक चिकित्सा पेशेवर की दुखद मृत्यु है, बल्कि यह घटना दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़ा करती है।
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