किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किया आमरण अनशन, सरकार पर बढ़ा दबाव

पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसान आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है, जो अब 35वें दिन में प्रवेश कर चुका है। उनकी बिगड़ती तबीयत के बावजूद डल्लेवाल चिकित्सा सहायता लेने से लगातार इनकार कर रहे हैं। इस स्थिति में पंजाब सरकार और केंद्र सरकार पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं आंदोलनकारी किसानों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
डल्लेवाल का आमरण अनशन और बिगड़ती तबीयत
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत कई मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है। उनका कहना है कि आंदोलन गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह पर आधारित है, लेकिन सरकार उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
रविवार (29 दिसंबर) को पंजाब सरकार की एक उच्च स्तरीय टीम ने खनौरी में डल्लेवाल से मुलाकात की। टीम में पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) मंदीप सिंह सिद्धू और रिटायर्ड अतिरिक्त डीजीपी जसकरण सिंह शामिल थे। हालांकि, डल्लेवाल ने किसी भी प्रकार की चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हरकत में आई पंजाब सरकार
पंजाब सरकार तब हरकत में आई जब सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता को अस्पताल न भेजने के लिए उसे कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने डल्लेवाल की खराब स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए सरकार को निर्देश दिए कि उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता दी जाए। इस पर सरकार ने खनौरी में एक टीम भेजी और मुख्यमंत्री भगवंत मान को स्थिति से अवगत कराया गया।
पुलिस अधिकारी जसकरण सिंह ने बताया, “हमने डल्लेवाल से सभी बिंदुओं पर चर्चा की और उन्हें समझाने की कोशिश की कि चिकित्सा सहायता लेना उनकी भलाई के लिए आवश्यक है। हालांकि, डल्लेवाल ने किसी भी प्रकार की चिकित्सा मदद लेने से इनकार कर दिया।”
डल्लेवाल का वीडियो संदेश: जनता से की बड़ी संख्या में पहुंचने की अपील
रविवार की देर शाम, जगजीत सिंह डल्लेवाल ने एक वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उनके आंदोलन को कुचलने के लिए बल प्रयोग कर सकती है। डल्लेवाल ने जनता से अपील करते हुए कहा, “हमें जानकारी मिल रही है कि यहां बहुत बड़ी संख्या में बल भेजा जा रहा है। मैं आपसे अपील करता हूं कि यह आपकी लड़ाई है। हम लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन जीत आपकी जिम्मेदारी है।”
डल्लेवाल ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “हमने गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह किया है, लेकिन केंद्र सरकार हमारी आवाज सुनने के बजाय हमारे आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है।”
क्यों हो रहा है किसान आंदोलन?
किसान लंबे समय से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, आंदोलनकारी किसान फसल खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और किसानों की समस्याओं को हल करने की मांग कर रहे हैं।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर इस समय बड़ी संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार पर बढ़ता दबाव
डल्लेवाल के अनशन और आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, अब तक डल्लेवाल की मांगों पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। सरकार के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बन चुकी है, क्योंकि डल्लेवाल की बिगड़ती तबीयत और आंदोलनकारियों की संख्या में इजाफा इसे और संवेदनशील बना रहा है।
आगे की राह
डल्लेवाल का आंदोलन इस समय किसानों और सरकार के बीच टकराव का मुख्य केंद्र बन चुका है। सरकार को इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। वहीं, किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन बंद नहीं होगा।
क्या डल्लेवाल का अनशन किसानों की लड़ाई को नई दिशा देगा, या यह टकराव और बढ़ाएगा? यह देखना अभी बाकी है।
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