शंभू बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी, 14 दिसंबर को दिल्ली कूच की तैयारी
किसानों का आंदोलन शंभू बॉर्डर पर पूरी मजबूती के साथ जारी है। अपनी मांगों को लेकर किसान संगठनों के नेता किसी भी तरह पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने गुरुवार (12 दिसंबर 2024) को प्रेस वार्ता कर आगे की रणनीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर को किसानों का एक जत्था दिल्ली के लिए रवाना होगा।
प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी
सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि किसानों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपनी मांगें रखी गई हैं। इस चिट्ठी के साथ 2013-2018 के दौरान कृषि मंत्रालय की चिट्ठियां और दिसंबर 2021 की एक चिट्ठी भी शामिल की गई हैं। उन्होंने कहा,
“हमने अपनी सभी मांगें स्पष्ट रूप से रखी हैं और प्रधानमंत्री को बता दिया है कि अगर खनौरी बॉर्डर पर कोई जान-माल की हानि होती है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।”
खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन का ऐलान
प्रेस वार्ता के दौरान किसान नेताओं ने बताया कि खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन का आयोजन किया जाएगा। पंढेर ने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर देशवासियों को जागरूक करना चाहते हैं और सरकार की उपेक्षा का विरोध कर रहे हैं।
इंटरनेट बंद करने की साजिश का आरोप
सरवन सिंह पंढेर ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि खनौरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाएं बंद करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने इसे किसानों के आंदोलन को कुचलने की कोशिश बताया।
“इंटरनेट बंद करने का मतलब है कि सरकारें किसान लहर के खिलाफ डिजिटल इमरजेंसी लगाने की तैयारी कर रही हैं।”
देशवासियों से उपवास की अपील
किसान संगठनों ने देशवासियों से उपवास करने की अपील की है। पंढेर ने कहा कि आंदोलन को 10 महीने पूरे हो रहे हैं और देशभर से किसानों और मजदूरों को खनौरी बॉर्डर पर आने का आह्वान किया गया है।
दिल्ली कूच की तैयारी
किसान नेताओं ने घोषणा की कि 14 दिसंबर को दिल्ली के लिए कूच किया जाएगा। इस जत्थे का नेतृत्व किसान नेता जसविंदर सिंह लोंगोवाल करेंगे।
“हम तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जातीं।”
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों ने केंद्र सरकार के सामने अपनी प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें कृषि कानूनों की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी और अन्य मुद्दे शामिल हैं।
सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी
किसान आंदोलन के 10 महीने पूरे होने के बावजूद सरकार और किसानों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। खनौरी बॉर्डर पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं।
किसानों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं हैं और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी सभी मांगें स्वीकार नहीं करती।
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