हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: बीजेपी की पहली लिस्ट में किन चेहरों को मिल सकता है टिकट?
हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तैयारियाँ जोरों पर हैं। जल्द ही पार्टी अपनी पहली सूची जारी कर सकती है, जिसमें कुछ पूर्व मंत्रियों और प्रमुख नेताओं के नाम शामिल होने की संभावना है। हाल ही में बीजेपी चुनाव समिति की बैठक में 21 नेताओं के नाम पर चर्चा हुई है, जिन्हें पहली लिस्ट में उम्मीदवार के तौर पर शामिल किया जा सकता है।
बीजेपी के संभावित उम्मीदवार
ABP न्यूज़ के आर्टिकल के अनुसार बीजेपी की पहली लिस्ट में शामिल होने वाले कुछ प्रमुख नेताओं के नाम इस प्रकार हो सकते हैं:
- फरीदाबाद ओल्ड से विपुल गोयल
- तिगांव से राजेश नागर
- पृथला से दीपक डागर
- बल्लभगढ़ से मूलचंद शर्मा
- होडल से हरेंद्र राम रतन
- पलवल से गौरव गौतम
- सोहना से तेजपाल तंवर
- अटेली से आरती राव
- रेवाड़ी से मंजू यादव
- बावल से संजय मेहरा
- नांगल से चौधरी अभय सिंह यादव
- लाडवा से नायब सिंह सैनी
- अंबाला कैंट से अनिल विज
- अंबाला सिटी से असीम गोयल
- थानेसर से सुभाष सुधा
- जींद से महिपाल डांडा
- पानीपत से प्रमोद विज
- लोहारू से जेपी दलाल
- तोशाम से श्रुति चौधरी
- जगाधरी से कंवर पाल गुर्जर
बीजेपी के लिए प्रमुख चुनौतियां
हरियाणा विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाला है। 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर से लेकर किसानों और जातिगत समीकरण जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यहाँ पांच प्रमुख चुनौतियां हैं जिनसे बीजेपी को निपटना होगा:
- सत्ता विरोधी लहर:
1977 के बाद से हरियाणा में कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत से सरकार नहीं बना पाई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों में भी यह स्पष्ट हुआ है कि बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। 2019 में राज्य की सभी 10 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार 2024 लोकसभा चुनाव में मात्र 5 सीटें मिली हैं। इस लहर को काबू करना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। - किसानों की नाराजगी:
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध हरियाणा में प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। भले ही सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया हो, लेकिन किसानों में अभी भी नाराजगी है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां किसानों की मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर है। - जातिगत ध्रुवीकरण:
हरियाणा में जातिगत समीकरण बेहद जटिल हैं। जाट समुदाय बीजेपी से नाराज है, और दलित वोट बैंक को लेकर भी चुनौती बनी हुई है। इन जातिगत ध्रुवीकरण को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को अपनी रणनीति बनानी होगी। - बीजेपी में गुटबाजी:
बीजेपी में आतंरिक गुटबाजी भी चुनावी तैयारी को कमजोर कर सकती है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह कैबिनेट रैंक नहीं मिलने से नाराज चल रहे हैं, और उनके समर्थक पार्टी के खिलाफ जा सकते हैं। इस गुटबाजी का असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है। - अग्निवीर और पहलवानों का मामला:
हरियाणा में सेना में जाने की तैयारी करने वाले युवाओं में अग्निवीर योजना को लेकर असंतोष है। इसके साथ ही महिला पहलवानों के साथ हुई बदसलूकी भी चुनावी मुद्दा बन सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी के खिलाफ इसका प्रभाव देखा जा सकता है।
निष्कर्ष
बीजेपी के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में चुनौतियां बड़ी हैं, लेकिन पार्टी अपने पुराने और भरोसेमंद चेहरों पर दांव लगाकर दोबारा सत्ता में आने की कोशिश करेगी। किसानों की नाराजगी, जातिगत समीकरण, और आंतरिक गुटबाजी से निपटने के लिए पार्टी को मजबूत रणनीति बनानी होगी।
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