ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर डाल रहा है बीड़ी उद्योग पर भारी जीएसटी बोझ
भारत के ग्रामीण इलाकों में लाखों लोगों की आजीविका का मुख्य आधार माने जाने वाला बीड़ी उद्योग आज गंभीर संकट से गुजर रहा है। 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद से इस पारंपरिक उद्योग पर 28% का उच्चतम टैक्स स्लैब लागू कर दिया गया, जिससे इस क्षेत्र में काम कर रहे 40 लाख से अधिक श्रमिक, विशेष रूप से महिलाएं, प्रभावित हुई हैं।
उद्योग पर जीएसटी का असर
जीएसटी के 28% टैक्स स्लैब ने छोटे और मध्यम बीड़ी निर्माताओं पर भारी बोझ डाल दिया है। उत्पादन लागत में भारी वृद्धि के चलते श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी में कटौती करनी पड़ी है। बीड़ी बनाने वाले श्रमिक, जो आमतौर पर किश्तों में मेहनताना पाते हैं, अब पहले की तुलना में कम आय अर्जित कर पा रहे हैं।
महिलाओं पर खास असर
इस उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों में बड़ी संख्या महिलाओं की है, जो अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए इस पर निर्भर हैं। लेकिन लागत बढ़ने और मजदूरी घटने के कारण उनके परिवारों पर गहरा असर पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में रोजगार के सीमित अवसरों के चलते बीड़ी उद्योग उनके लिए आय का एकमात्र स्रोत बना हुआ है।
उद्योग को बचाने के सुझाव
बीड़ी उद्योग को इस संकट से बाहर निकालने के लिए विशेषज्ञों और उद्योग से जुड़े लोगों ने कई समाधान सुझाए हैं:
- जीएसटी दरों में कटौती
बीड़ी पर टैक्स दरों को 28% से कम करके तर्कसंगत बनाया जाए, जिससे उत्पादन लागत में कमी आए और श्रमिकों को उचित मजदूरी मिल सके। - टियर-आधारित टैक्स सिस्टम
छोटे और मध्यम निर्माताओं के लिए एक टियर आधारित टैक्स सिस्टम लागू किया जाए, ताकि वे बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। - जीएसटी मुक्त क्षेत्र (GST-Free Zones)
ग्रामीण इलाकों में बीड़ी उद्योग के लिए विशेष जीएसटी मुक्त क्षेत्र बनाए जाएं। इससे न केवल रोजगार सुरक्षित रहेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। - निर्यात को प्रोत्साहन
बीड़ियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी दी जाए। इससे यह उद्योग वैश्विक स्तर पर फैल सकेगा और नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
सीबीआईसी ने अफवाहों का किया खंडन
हाल ही में सोशल मीडिया पर खबर फैली कि जीएसटी काउंसिल सिगरेट, तंबाकू और बीड़ी जैसे उत्पादों पर जीएसटी को 28% से बढ़ाकर 35% करने की योजना बना रही है।
हालांकि, सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBIC) ने इन खबरों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। सीबीआईसी ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी काउंसिल में अभी तक इस संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है और मंत्रियों के समूह की सिफारिशें भी उसे नहीं मिली हैं।
संतुलित नीति की जरूरत
बीड़ी उद्योग पर भारी टैक्स का प्रभाव यह दिखाता है कि किसी भी कर नीति में संतुलन होना आवश्यक है।
- सरकार को इस उद्योग पर आर्थिक दबाव कम करने के लिए टैक्स दरों में कमी करनी चाहिए।
- साथ ही, श्रमिकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
यह कदम न केवल लाखों श्रमिकों की आजीविका को बचाएगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर के इस महत्वपूर्ण हिस्से को भी संरक्षित करेगा।
बीड़ी उद्योग को राहत देने के लिए सरकार के पास यह एक सुनहरा अवसर है। अब देखना होगा कि इस दिशा में कितने ठोस कदम उठाए जाते हैं।
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