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भारत में भविष्य के फिल्म निर्माण का केंद्र: एप्टेक की वर्चुअल प्रोडक्शन एकेडमी

वर्चुअल प्रोडक्शन एक उभरती हुई तकनीक है जो फिल्म निर्माण, गेमिंग और अन्य क्रिएटिव उद्योगों में क्रांति ला रही है। इसमें रियल-टाइम कंप्यूटर ग्राफिक्स, इन-कैमरा विजुअल इफेक्ट्स (आईसीवीएफएक्स), मोशन कैप्चर और एलईडी वॉल जैसी तकनीकों का उपयोग होता है। इसका उद्देश्य कलाकारों और क्रिएटिव टीम को डिजिटल और वास्तविक दुनिया को मिलाकर ऐसा माहौल देना है जो पारंपरिक फिल्म निर्माण से कहीं अधिक प्रभावी और लचीला है।

मुंबई स्थित एप्टेक की वर्चुअल प्रोडक्शन एकेडमी भारत की पहली ऐसी संस्था है जो इस अत्याधुनिक तकनीक में प्रशिक्षण प्रदान करती है। 2023 में स्थापित, यह एकेडमी स्टूडेंट्स को व्यवहारिक प्रशिक्षण और गहन जानकारी देकर वीएफएक्स, फिल्म निर्माण, और पोस्ट-प्रोडक्शन की अनोखी दुनिया से रूबरू कराती है। एकेडमी फिल्म और टेलीविजन, गेमिंग, विज्ञापन, शिक्षा, आर्किटेक्चरल विजुअलाइजेशन और लाइव इवेंट्स जैसे उद्योगों के लिए कुशल पेशेवर तैयार करती है।

वर्चुअल प्रोडक्शन क्या है?

वर्चुअल प्रोडक्शन एक आधुनिक फिल्म निर्माण तकनीक है जो डिजिटल और वास्तविक दुनिया को जोड़कर रचनात्मकता को नए आयाम देती है। इसमें कंप्यूटर जनित ग्राफिक्स (CGI), इन-कैमरा विजुअल इफेक्ट्स (icvFX), मोशन कैप्चर और रियल-टाइम रेंडरिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। यह पारंपरिक फिल्म निर्माण की सीमाओं को पार करके कलाकारों और निर्देशकों को अधिक लचीलापन और नियंत्रण प्रदान करता है।

कैसे काम करता है वर्चुअल प्रोडक्शन?
वर्चुअल प्रोडक्शन में एक वर्चुअल वातावरण को वास्तविक समय में डिजिटल रूप से तैयार किया जाता है। इसमें निम्नलिखित तकनीकों का उपयोग होता है:

  1. इन-कैमरा विजुअल इफेक्ट्स (आईसीवीएफएक्स):
    इस तकनीक के माध्यम से वर्चुअल बैकग्राउंड और सेट्स को कैमरे में लाइव देखा जा सकता है। कलाकार रियल-टाइम में इन डिजिटल सेटिंग्स के साथ परफॉर्म कर सकते हैं।
  2. एलईडी वॉल्स:
    बड़े-बड़े एलईडी पैनल्स पर वर्चुअल बैकग्राउंड प्रदर्शित किए जाते हैं, जिससे ग्रीन स्क्रीन की जरूरत कम हो जाती है। इससे कलाकारों को वास्तविक वातावरण जैसा अनुभव मिलता है।
  3. मोशन कैप्चर (MOCAP):
    इस तकनीक से कलाकारों की हरकतों और भावनाओं को रिकॉर्ड करके डिजिटल अवतार में बदल दिया जाता है। इसका उपयोग वीडियो गेम, फिल्म और एनीमेशन में किया जाता है।
  4. रियल-टाइम रेंडरिंग:
    यह तकनीक ग्राफिक्स को तुरंत तैयार करती है, जिससे निर्देशक और टीम को तुरंत परिणाम देखने का मौका मिलता है।

एप्टेक की वर्चुअल प्रोडक्शन एकेडमी की प्रमुख विशेषताएं
अतुल जैन, मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, एप्टेक लिमिटेड, का कहना है, “भारत में वर्चुअल प्रोडक्शन तेजी से विकसित हो रहा है, और हमारी एकेडमी इस क्षेत्र में नई पीढ़ी को दक्ष बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां स्टूडेंट्स को ग्रीन स्क्रीन, एलईडी वॉल्स और रियल-टाइम सीजीआई जैसी तकनीकों में महारत हासिल करवाई जाती है।”

एकेडमी में स्टूडेंट्स को रियलिटीस्कैन, रोकोको, एक्सिमेट्री, अनरियल इंजन, और एडोब सब्सटैंस पेंटर जैसे सॉफ्टवेयर से परिचित कराया जाता है। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उन्हें एप्टेक के इंडस्ट्री पार्टनर्स की मदद से प्लेसमेंट का अवसर मिलता है।

सफलताएं और भविष्य
हाल ही में, एकेडमी ने वीआईवीई मार्स ग्लोबल वर्चुअल प्रोडक्शन शॉर्ट फिल्म कॉम्पीटिशन 2024 में दूसरा स्थान हासिल किया। उनकी हॉरर फिल्म “द गिफ्ट बॉक्स” इस क्षेत्र में उनके हुनर और नवाचार को दर्शाती है। एकेडमी के कोर्स पूरे करने के बाद स्टूडेंट्स को माइक्रो-क्रेडेंशियल्स दिए जाते हैं, जिससे उन्हें भारत और विदेश में नौकरियों के लिए सीधे अवसर मिलते हैं।

एप्टेक की वर्चुअल प्रोडक्शन एकेडमी भारतीय फिल्म निर्माण और वीएफएक्स इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना साकार कर रही है। यह नई तकनीक न केवल कंटेंट निर्माण को बदल रही है, बल्कि क्रिएटिव प्रोफेशनल्स को भविष्य के लिए तैयार भी कर रही है।

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