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वियतनाम पर अमेरिकी टैरिफ का असर: सैमसंग और गूगल जैसी दिग्गज टेक कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग शिफ्ट करने की तैयारी में

अमेरिका द्वारा वियतनाम पर लगाए गए भारी टैरिफ के चलते वैश्विक टेक कंपनियों की नजर अब भारत पर टिक गई है। खासतौर पर सैमसंग जैसी दक्षिण कोरियाई दिग्गज कंपनी अब भारत में स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन का हिस्सा स्थानांतरित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

भारत बन सकता है नया मैन्युफैक्चरिंग हब
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सैमसंग भारत में स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से बातचीत कर रही है। इनमें कई कंपनियां पहले से ही सैमसंग की साझेदार रह चुकी हैं।

सिर्फ सैमसंग ही नहीं, बल्कि गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट भी भारत में अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स—डिक्सन टेक्नोलॉजीज और फॉक्सकॉन—के साथ मिलकर वियतनाम से पिक्सेल स्मार्टफोन के प्रोडक्शन का एक हिस्सा भारत शिफ्ट करने की योजना पर काम कर रही है।

वियतनाम रहा है सैमसंग का बड़ा बेस
वियतनाम अब तक सैमसंग का प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब रहा है। वित्त वर्ष 2024 में सैमसंग ने यहां से 52 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के मोबाइल फोन और स्पेयर पार्ट्स का निर्यात किया था। यह आंकड़ा वियतनाम के कुल व्यापार का लगभग 9 प्रतिशत है।

वहीं, वियतनाम का कुल इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट पिछले वर्ष 142 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो भारत के 2024 में 29.2 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट से 5 गुना अधिक है।

भारत के लिए बड़ा अवसर
अब जबकि वियतनाम पर अमेरिकी टैरिफ का दबाव है, और कंपनियां वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब की तलाश में हैं, तो भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका बन सकता है। इससे पहले Apple भी भारत में अपने उत्पादों की असेंबली शुरू कर चुका है, जिससे भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन को बड़ा बढ़ावा मिला है।

अमेरिका का टैरिफ स्ट्रक्चर
अमेरिकी सरकार, खासकर ट्रंप प्रशासन ने वियतनाम पर 46 प्रतिशत और भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। हालांकि, चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों पर यह टैरिफ फिलहाल 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया है।

निष्कर्ष
ग्लोबल सप्लाई चेन में चल रहे बदलावों के इस दौर में भारत के पास अब “दुनिया का नया इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब” बनने का अवसर है। सैमसंग, गूगल और Apple जैसी कंपनियों का भारत की ओर रुख करना इसी दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। अगर भारत सरकार सही नीतियों और ढांचागत सुधारों के जरिए इस अवसर का लाभ उठाती है, तो आने वाले वर्षों में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट के मामले में एशिया में एक नया सितारा बन सकता है।

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