इंफोसिस को 32 हजार करोड़ रुपये की कथित जीएसटी चोरी के मामले में नोटिस, कंपनी ने किया दावों का खंडन

देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में टैक्स डिपार्टमेंट ने इंफोसिस को 32,403 करोड़ रुपये की कथित जीएसटी चोरी के मामले में नोटिस भेजा है। कंपनी का दावा है कि उसने सारे बकाए का भुगतान कर दिया है। इस बीच, यह मुद्दा कॉरपोरेट जगत में भी चर्चा का विषय बन गया है और कई प्रमुख नाम इसकी आलोचना कर रहे हैं।
जीएसटी डिपार्टमेंट ने क्यों भेजा नोटिस?
जीएसटी डिपार्टमेंट ने इंफोसिस को 32,403.46 करोड़ रुपये के बकाए की मांग के साथ नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि टैक्स की डिमांड इंफोसिस द्वारा अपनी विदेशी शाखाओं से ली गई सर्विस को लेकर है, जो 2017 से 2022 के दौरान की है। इंफोसिस ने उन सेवाओं के बदले अपनी विदेशी शाखाओं को भुगतान किया और उन्हें खर्च के रूप में दिखाया। इसके चलते कंपनी के ऊपर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत इंटीग्रेटेड जीएसटी की देनदारी बनती है।
इंफोसिस का पक्ष
नोटिस मिलने के बाद इंफोसिस ने शेयर बाजार को इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कंपनी ने बताया कि उसके ऊपर कोई बकाया नहीं है और उसने जीएसटी के सभी बकाए का भुगतान पहले ही कर दिया है। इंफोसिस का मानना है कि इस मामले में उसके ऊपर टैक्स (जीएसटी) की कोई देनदारी नहीं बनती है और कंपनी राज्य व केंद्र के सभी नियमों का सही से अनुपालन कर रही है।
मोहनदास पई की कड़ी आलोचना
पद्मश्री से सम्मानित बिजनेसमैन और इंफोसिस के पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर मोहनदास पई ने इंफोसिस को मिले जीएसटी नोटिस की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस खबर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय, पीएम नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्रालय और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टैग किया। उन्होंने लिखा कि अगर यह खबर सही है तो यह आपत्तिजनक है और टैक्स टेररिज्म का सबसे खराब मामला है। पई ने कहा कि भारत से सर्विस का एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों के ऊपर जीएसटी नहीं लगता है और कर अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठाए।
अशनीर ग्रोवर की प्रतिक्रिया
मोहनदास पई के पोस्ट को कोट करते हुए अशनीर ग्रोवर ने भी मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई। ग्रोवर ने पहले भी भारत की टैक्स व्यवस्था पर मुखर होकर आलोचना की है। ताजे मामले में उनका कहना है कि जीएसटी वाले इससे पहले आईवीएफ सेंटर्स को भी टैक्स नोटिस भेज चुके हैं, उनका तर्क था कि आईवीएफ सेंटर मेडिकल सर्विस के दायरे में नहीं आते हैं क्योंकि मरीज की स्थिति इलाज के बाद भी पहले जैसी रहती है।
इंफोसिस के शेयर लुढ़के
इस खबर के सामने आने के बाद इंफोसिस के शेयरों पर भी असर देखा गया। गुरुवार को शुरुआती कारोबार में इंफोसिस का शेयर 0.55 फीसदी गिरकर 1,860 रुपये से नीचे आ गया। यह गिरावट ऐसे समय आई है जब दुनिया भर में टेक शेयरों में रैली देखी जा रही है।
यह मामला न केवल इंफोसिस बल्कि पूरे कॉरपोरेट जगत में चर्चा का विषय बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और यह मामला कैसे सुलझता है।
नवीनतम अपडेट और रोमांचक कहानियों के लिए हमें ट्विटर, गूगल न्यूज और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें और फेसबुक पर हमें लाइक करें।