HINDI NEWSवर्ल्ड

ईरान-इजरायल संघर्ष से मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा गहराया, ट्रंप की चुप्पी बढ़ा रही वैश्विक चिंता

मध्य पूर्व एक बार फिर संकट के मुहाने पर खड़ा है। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव और लगातार हो रहे सैन्य हमलों ने क्षेत्र को युद्ध की दहलीज पर ला दिया है। वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुप्पी और अस्पष्ट बयान दुनिया भर में चिंता और अनिश्चितता का कारण बन रहे हैं। वैश्विक समुदाय अब इस सवाल से जूझ रहा है कि क्या यह संघर्ष पूर्ण युद्ध में बदल जाएगा या किसी तरह की राजनयिक पहल से समाधान निकल पाएगा।

ट्रंप की रणनीति: चुप्पी या चेतावनी?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में द वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए इंटरव्यू में संकेत दिया कि उन्होंने ईरान पर हमले की योजनाओं को मंजूरी दे दी है, लेकिन अंतिम आदेश अभी तक नहीं दिया है। ट्रंप ने कहा,

“मैं कर सकता हूं, मैं नहीं भी कर सकता… कोई नहीं जानता मैं क्या करने वाला हूं।”

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि ईरानी अधिकारी वॉशिंगटन के साथ बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने यह कहकर संदेह और अनिश्चितता बढ़ा दी कि “अब बहुत देर हो चुकी है।”

यूरोपीय प्रयास और कूटनीतिक पहल
इस तनावपूर्ण माहौल में जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के विदेश मंत्री जिनेवा में ईरान के विदेश मंत्री से मुलाकात कर रहे हैं। इन देशों का उद्देश्य ईरान को यह भरोसा दिलाना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसका परमाणु कार्यक्रम नागरिक उपयोग तक सीमित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह बैठक एक शांतिपूर्ण समाधान की संभावना को जीवित रखती है, लेकिन स्थिति तेजी से नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है।

इजरायल की सैन्य कार्रवाई तेज
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में कहा है कि

“हम धीरे-धीरे ईरान के परमाणु और मिसाइल ठिकानों को खत्म कर रहे हैं।”

उन्होंने अमेरिका और ट्रंप का आभार जताते हुए उन्हें “इजरायल का सच्चा मित्र” बताया। इजरायली सेना ने दावा किया कि उन्होंने ईरान द्वारा छोड़े गए ड्रोन को उत्तरी इजरायल और जॉर्डन घाटी में मार गिराया है। इसके अलावा, ईरान के पुलिस मुख्यालय को भी तबाह करने का दावा किया गया है।

ईरान की कड़ी चेतावनी
वहीं, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने एक टेलीविजन संदेश में अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा,

“अगर अमेरिका ने सैन्य हस्तक्षेप किया, तो उसे ऐसी क्षति होगी जो कभी पूरी नहीं हो सकेगी। ईरानी राष्ट्र कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगा।”

यह बयान स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ईरान भी किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।

निष्कर्ष: क्या युद्ध अवश्यंभावी है?
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव और ट्रंप की अनिर्णय की स्थिति ने पूरे मध्य पूर्व और वैश्विक समुदाय को बेचैनी की स्थिति में डाल दिया है। जहां इजरायल सैन्य अभियान तेज कर चुका है, वहीं ईरान भी स्पष्ट कर चुका है कि वह झुकने वाला नहीं है। अमेरिका का रुख इस पूरे संकट में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

अगर जल्द ही कूटनीतिक प्रयास सफल नहीं होते, तो यह टकराव एक विनाशकारी युद्ध में तब्दील हो सकता है, जिसके परिणाम केवल मध्य पूर्व ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भुगतने पड़ सकते हैं।

नवीनतम अपडेट और रोमांचक कहानियों के लिए हमें ट्विटर, गूगल न्यूज और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें और फेसबुक पर हमें लाइक करें।

Show More

Leave a Reply

Back to top button