करगिल विजय दिवस: भारतीय सेना की वीरता और साहस की विजय गाथा

हर साल 26 जुलाई के दिन भारत करगिल विजय दिवस मनाता है। 1999 में इसी दिन भारत ने करगिल युद्ध में पाकिस्तान को मात दी थी। करगिल युद्ध भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई सबसे कठिन लड़ाइयों में से एक मानी जाती है। यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया और दो महीने तक चला। इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने हौसले, जज्बे और देशप्रेम का परिचय दिया। आइए जानते हैं करगिल युद्ध की प्रमुख घटनाओं की टाइमलाइन:
करगिल युद्ध की टाइमलाइन
3 मई, 1999: स्थानीय चरवाहों ने करगिल इलाके में घुसपैठियों के दिखने की सूचना भारतीय सेना को दी।
5 मई, 1999: भारतीय सेना ने इलाके में गश्त के लिए जवानों को भेजा, जिनमें से 5 जवानों को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया।
10 मई, 1999: द्रास, काकसर और बटालिक सेक्टर में घुसपैठियों की उपस्थिति की पुष्टि हुई और ऑपरेशन विजय की शुरुआत हुई।
16 मई, 1999: 56 माउंटेन ब्रिगेड ने द्रास-मुश्कोह सेक्टर पर कब्जा कर लिया।
18 मई, 1999: भारतीय सेना ने पॉइंट 4295 और 4460 पर कब्जा किया।
21 मई, 1999: 8 सिखों ने टाइगर हिल की घेराबंदी शुरू की।
26 मई, 1999: भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन सफेद सागर की शुरुआत की।
31 मई, 1999: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसी स्थिति की घोषणा की।
1 जून, 1999: पाकिस्तान ने कश्मीर और लद्दाख में नेशनल हाईवे-1 पर गोलाबारी शुरू की। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान को इस सैन्य आक्रामकता के लिए जिम्मेदार ठहराया।
9 जून, 1999: भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर के दो स्थानों पर पुनः कब्जा कर लिया।
10 जून, 1999: पाकिस्तान ने जाट रेजिमेंट के छह सैनिकों के क्षत-विक्षत अवशेष सौंपे।
11 जून, 1999: भारतीय इंटेलिजेंस ने जनरल परवेज़ मुशर्रफ और लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान के बीच इंटरसेप्ट की गई बातचीत जारी की, जिससे घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना की भूमिका का खुलासा हुआ।
13 जून, 1999: 56 ब्रिगेड ने टोलोलिंग और पॉइंट 4590 पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया। प्रधानमंत्री वाजपेयी ने करगिल का दौरा किया और सैनिकों को संबोधित किया।
20 जून, 1999: 56 ब्रिगेड ने पॉइंट 5140 पर कब्जा कर लिया।
28 जून, 1999: 56 ब्रिगेड ने पॉइंट 4700 पर कब्जा कर लिया।
29 जून, 1999: 56 ब्रिगेड ने ‘ब्लैक रॉक’, ‘थ्री पिम्पल’ और ‘नॉल’ पर कब्जा कर लिया, जिससे पाकिस्तानी सेनाएं पीछे हट गईं।
5 जुलाई, 1999: अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से मुलाकात की, जिसके बाद उन्हें करगिल से सैनिकों की वापसी की घोषणा करनी पड़ी। इस समय तक लगभग पूरे मुश्कोह और द्रास को दुश्मन सेना से खाली कर दिया गया था।
11 जुलाई, 1999: पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पीछे हटना शुरू कर दिया, जिससे भारतीय सेना को बटालिक क्षेत्र की कई चोटियों पर नियंत्रण करने का मौका मिल गया।
14 जुलाई, 1999: प्रधानमंत्री वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय की सफलता की घोषणा की।
26 जुलाई, 1999: करगिल का युद्ध औपचारिक तौर पर समाप्त हुआ।
करगिल विजय दिवस का महत्व
करगिल विजय दिवस भारतीय सेना की वीरता, साहस और बलिदान को सम्मानित करने का दिन है। इस दिन हम उन बहादुर सैनिकों को याद करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की सुरक्षा की। करगिल विजय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जब भी देश पर संकट आता है, हमारे वीर जवान हमेशा तत्पर रहते हैं।
करगिल युद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस और देशप्रेम का प्रतीक है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है और हमें यह प्रेरणा देता है कि हम भी अपने देश के लिए कुछ कर सकें। जय हिंद!
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