मध्य प्रदेश मादा चीता और शावकों पर ग्रामीणों का पथराव, ‘प्रोजेक्ट चीता’ की सुरक्षा पर उठे सवाल

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में सोमवार (24 मार्च) को एक मादा चीता और उसके चार शावकों पर पथराव करने का मामला सामने आया है। यह घटना तब हुई जब ग्रामीणों ने चीता और उसके शावकों को एक बछड़े का शिकार करते हुए देखा। इस घटना के बाद वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है।
कैसे हुई घटना?
ABP न्यूज़ के अनुसार, यह घटना सुबह करीब 9 बजे बेहरधा गांव के बाहरी इलाके में हुई। यह वही क्षेत्र है जहां अफ्रीका से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया था।
• मादा चीता ‘ज्वाला’ अपने चार शावकों के साथ खेतों के पास एक मवेशी के बछड़े का शिकार करने की कोशिश कर रही थी।
• इसी दौरान, आसपास के ग्रामीण इकट्ठा हो गए और बछड़े को बचाने के लिए हंगामा करने लगे।
• कुछ ग्रामीणों ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए, जिससे चीतों को वहां से भागना पड़ा।
ABP न्यूज़ के मुताबिक, वन विभाग की निगरानी टीम मौके पर मौजूद थी और उन्होंने स्थिति को नियंत्रण में लाने की पूरी कोशिश की। फिलहाल चीतों को जंगल में लौटते हुए देखा गया है, और वे पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित हैं।
चीतों को लाठी-डंडों के साथ घेरने पहुंचे ग्रामीण
घटना से जुड़े वीडियो फुटेज में चीतों को कूनो नेशनल पार्क के पास एक निर्माणाधीन रेलवे पुल के नजदीक देखा गया। वीडियो में यह भी स्पष्ट दिखा कि कई ग्रामीण लाठी-डंडों से लैस होकर कुछ दूरी पर खड़े थे और वन विभाग की टीम चीतों को वहां से भगाने की कोशिश कर रही थी।
वन विभाग का बयान – घबराने की जरूरत नहीं
वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाया कि वे जानवरों को बिना किसी बाधा के स्वतंत्र रूप से घूमने दें।
प्रोजेक्ट चीता के निदेशक उत्तम कुमार शर्मा ने कहा –
“चीतों को घेरने या लाठी-डंडों से डराने के बजाय, ग्रामीणों को उन्हें शांतिपूर्वक देखने और उन्हें अपना रास्ता तय करने देना चाहिए।”
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि –
”अगर कोई चीता मवेशियों का शिकार करता है, तो पशु मालिक को उचित मुआवजा दिया जाएगा।”
‘प्रोजेक्ट चीता’ पर मंडराते खतरे
इस घटना के बाद ‘प्रोजेक्ट चीता’ की सुरक्षा को लेकर वन्यजीव विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है। भारत में चीतों का पुनर्वास एक महत्वपूर्ण परियोजना है, लेकिन यदि ऐसी घटनाएं जारी रहती हैं तो चीतों की सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती बन सकता है।
वन विभाग ने ग्रामीणों से जागरूकता और संयम बरतने की अपील की है ताकि इन दुर्लभ वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
नवीनतम अपडेट और रोमांचक कहानियों के लिए हमें ट्विटर, गूगल न्यूज और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें और फेसबुक पर हमें लाइक करें।