महाकुंभ 2025 प्रयागराज से काशी में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, धार्मिक स्थलों पर आस्था का सैलाब

प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 के दौरान काशी में भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। यह अनुमान अब सच होता दिखाई दे रहा है। बुधवार से ही काशी में प्रयागराज महाकुंभ के श्रद्धालुओं का पलट प्रवाह देखा जा रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर, काल भैरव मंदिर, गंगा घाट और अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं का बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा है।
काशी में आस्था का सैलाब
महाकुंभ के दौरान काशी में 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना व्यक्त की गई थी। बुधवार को इस प्रवाह का प्रभाव साफ तौर पर देखा गया, जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। गंगा घाट, काल भैरव मंदिर, संकट मोचन मंदिर और शीतला माता मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते नजर आए। इस भारी भीड़ को संभालने के लिए मंदिर प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों को मुस्तैद रहना पड़ा।
धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण एक चुनौती
महाकुंभ के दौरान काशी और आसपास के क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहेगी। वाराणसी के अलावा चंदौली, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, अयोध्या, लखनऊ और सुल्तानपुर सहित अन्य स्थानों से भी श्रद्धालु महाकुंभ से लौटते समय काशी के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर पहुंचेंगे। यह स्थिति सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करेगी, क्योंकि लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के चलते धार्मिक स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित करना आसान नहीं होगा।
काशी विश्वनाथ धाम बना आस्था का केंद्र
देश और विदेश से हर रोज लाखों श्रद्धालु काशी विश्वनाथ धाम में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं। महाकुंभ के दौरान यह संख्या कई गुना बढ़ गई है। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। बुधवार को तो विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ काशी के हर प्रमुख धार्मिक स्थल पर देखी गई।
महाकुंभ के बाद भी जारी रहेगा पलट प्रवाह
धर्म नगरी काशी प्राचीन धार्मिक स्थलों से समृद्ध है और संगम तट पर महाकुंभ के आयोजन के बाद काशी में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है। काशी में यह पलट प्रवाह महाकुंभ समाप्त होने के बाद भी लंबे समय तक जारी रहेगा।
काशी की इस आस्था भरी तस्वीर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत में धर्म और संस्कृति कितनी गहराई से जुड़ी हुई हैं। महाकुंभ 2025 का प्रभाव केवल प्रयागराज तक ही सीमित नहीं है, बल्कि काशी सहित पूरे क्षेत्र में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है।
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