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जाली प्रमाणपत्रों के आरोप में घिरीं महाराष्ट्र की IAS अधिकारी पूजा खेडकर, पढ़े पूरी खबर खबर

महाराष्ट्र कैडर के 2022 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी डॉ. पूजा खेडकर कथित रूप से जाली विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) प्रमाणपत्रों का उपयोग कर अपने पद को प्राप्त करने के गंभीर आरोपों का सामना कर रही हैं।

केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल (कैट) के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, डॉ. खेडकर ने यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी और दृष्टिबाधित वर्गों (Visually Impaired Categories) के अंतर्गत आवेदन दिया था। साथ ही, उन्होंने अपना IAS पद हासिल करने के लिए यूपीएससी को एक मानसिक बीमारी का प्रमाणपत्र भी जमा किया था।

आरोप है कि, उनके चयन के बाद डॉ. खेडकर को उनके विकलांगता प्रमाणपत्र के सत्यापन के लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) बुलाया गया था। हालांकि, उन्होंने अप्रैल 2022 में कोविड-19 संक्रमण का हवाला देते हुए AIIMS में चिकित्सा परीक्षण में शामिल होने से इनकार कर दिया।

इसके बाद भी उन्हें परीक्षण के लिए पांच बार और बुलाया गया, लेकिन उन्होंने हर बार विभिन्न कारणों का हवाला देकर इनकार करना जारी रखा। बाद में, उन्होंने कथित रूप से एक स्थानीय निजी अस्पताल से फर्जी विकलांगता सत्यापन रिपोर्ट जमा कर दी और पुणे में एक परिवीक्षाधीन अधिकारी (Probationary Officer) के रूप में शामिल हो गईं। यूपीएससी ने उनके प्रस्तुत प्रमाणपत्र को कैट में चुनौती दी, लेकिन आरोप है कि, उन्होंने कथित रूप से राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर रहस्यमय तरीके से शामिल होने का आदेश प्राप्त कर लिया।

परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में शामिल होने के पश्चात् डॉ. खेडकर ने कथित रूप से कई अनुचित मांगें रखीं, जिनमें एक ठेकेदार द्वारा प्रदान की गई बताई जाने वाली एक ऑडी कार के लिए वीआईपी नंबर प्लेट शामिल है। सेवा नियमों के अनुसार, अधिकारियों को सरकारी काम के लिए निजी ठेकेदारों के वाहनों का उपयोग करने की अनुमति नहीं है, लेकिन उन्होंने कथित रूप से इस नियम को दरकिनार करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, उन्होंने एक IAS अधिकारी के रूप में अपने पद को प्रदर्शित करने के लिए ऑडी गाड़ी पर लाल बत्ती भी लगवा दी।

डॉ. खेडकर ने पुणे कलेक्टर के निजी कक्ष पर भी कब्जा कर लिया, यह दावा करते हुए कि एक IAS अधिकारी के नाते यह उनका कक्ष है। उन्होंने एक चपरासी और अन्य कर्मचारियों की भी मांग की। उनके इस व्यवहार के कारण राज्य के मुख्य सचिव द्वारा उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई। इसके बाद सरकार ने उन्हें पुणे से हटाकर विदर्भ के वाशिम स्थानांतरित कर दिया। नियमों के अनुसार, उन्हें शुरुआत में ही उनके गृह जिले पुणे में तैनात नहीं किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने कथित रूप से अपने राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल कर उस पद को हासिल कर लिया।

जहां एक ओर डॉ. खेडकर ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आईं, वहीं इस वर्ग के लिए क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र सीमा (limit) माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख रुपये निर्धारित है। हालांकि, उनके पिता, सेवानिवृत्त वरिष्ठ महाराष्ट्र सरकार के अधिकारी श्री दिलीप खेडकर, ने अनुमानित रूप से 40 करोड़ रुपये की संपत्ति और 49 लाख रुपये की वार्षिक आय दर्शाई है। वास्तविकता यह है कि उनकी कुल संपत्ति मूल्य 100 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।

श्री खेडकर ने हाल ही में प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, जिसमें उन्हें 15,000 से अधिक वोट जिस पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं आई है।

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