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हिमाचल के संजौली में मस्जिद विवाद: अवैध निर्माण का आरोप और बढ़ता तनाव

हिमाचल प्रदेश, जो अपनी शांत पहाड़ियों और खुशनुमा माहौल के लिए जाना जाता है, इन दिनों संजौली में एक मस्जिद को लेकर विवादों में घिर गया है। शिमला के संजौली क्षेत्र में एक मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब पूरे प्रदेश के साथ-साथ देश भर में चर्चा का विषय बन चुका है।

मस्जिद को अवैध बताने का विवाद
शिमला में संजौली मस्जिद को हिंदू संगठनों ने अवैध बताते हुए इसे गिराने की मांग की है। उनका दावा है कि मस्जिद का निर्माण बिना अनुमति और नक्शा पास कराए किया गया है। मस्जिद पांच मंजिल की बनी है जबकि शिमला में केवल ढाई मंजिल तक की इमारत बनाने की इजाजत होती है। यही कारण है कि इस मस्जिद के निर्माण पर सवाल उठ रहे हैं।

हिंदू संगठनों का प्रदर्शन
बुधवार, 11 सितंबर 2024 को हिंदू संगठनों ने कथित अवैध मस्जिद के खिलाफ रैली निकालते हुए उसकी दीवार गिराने की कोशिश की। बड़ी संख्या में पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद की ओर कूच किया, जिसके बाद शिमला में तनाव का माहौल बन गया। पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल करना पड़ा। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं थे।

पुलिस की कार्यवाही और धारा 144 का उल्लंघन
प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने इलाके में धारा 144 लागू की थी, लेकिन हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता धारा 144 का उल्लंघन करते हुए मस्जिद की ओर बढ़ते रहे। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और तनावपूर्ण माहौल के बीच शिमला में कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की।

मस्जिद का पुराना विवाद
संजौली मस्जिद का विवाद नया नहीं है। इस मस्जिद को लेकर पहली बार 2010 में शिकायत दर्ज हुई थी, और तब से मामला नगर निगम की कोर्ट में लंबित है। इस दौरान मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर कई नोटिस जारी किए गए, लेकिन निर्माण कार्य रुका नहीं। मस्जिद की पांच मंजिला इमारत खड़ी हो चुकी है, जबकि इस क्षेत्र में केवल ढाई मंजिला निर्माण की अनुमति है। अगली सुनवाई की तारीख 5 अक्टूबर तय की गई है।

मस्जिद से जुड़े अन्य विवाद
हाल ही में, 31 अगस्त को दो समुदायों के बीच हुई मारपीट के बाद इस विवाद ने और अधिक तूल पकड़ा। स्थानीय हिंदू संगठनों का आरोप है कि मस्जिद के कारण इलाके का माहौल खराब हो रहा है और इसे जल्द से जल्द गिराया जाना चाहिए। वहीं मस्जिद के इमाम शहजाद का कहना है कि मारपीट के मुद्दे को मस्जिद से जोड़ना गलत है। उनका दावा है कि मस्जिद का निर्माण 1947 से पहले हुआ था और तब यह एक कच्ची संरचना थी।

राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप
इस मसले पर प्रदेश की राजनीतिक दलों के बीच भी बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में बयान दिया था कि मस्जिद अवैध है और यह जमीन हिमाचल सरकार की है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, जिससे घुसपैठ का खतरा है।

वहीं, बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकार को हिंदुओं और स्थानीय लोगों की भावना का सम्मान करना चाहिए। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि कानून को अपने हाथ में लेने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी।

अगला कदम और समाधान की उम्मीद
इस विवाद ने शिमला और पूरे हिमाचल प्रदेश में तनाव बढ़ा दिया है। नगर निगम की कोर्ट में चल रही सुनवाई और 5 अक्टूबर को होने वाली अगली तारीख पर सबकी नजरें हैं। इस बीच, प्रशासन और पुलिस लगातार स्थिति को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि शांति और सौहार्द्र बनाए रखा जा सके।

मस्जिद के वैधता और विवाद का समाधान कानूनी प्रक्रिया के तहत होगा, लेकिन इस मुद्दे ने हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया है। उम्मीद है कि आगामी सुनवाई में कोई स्थायी समाधान निकल सकेगा जिससे क्षेत्र में शांति लौट सके।

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