नागपुर हिंसा औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग के बीच भड़की हिंसा, अब तक 46 गिरफ्तार

महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के प्रदर्शन के दौरान सोमवार को हिंसक झड़पें हुईं। इस मामले में पुलिस ने अब तक 5 एफआईआर दर्ज की हैं और 46 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, कई अन्य संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मंगलवार की रात पुलिस ने रूट मार्च निकाला और प्रभावित इलाकों में शांति बनाए रखने के प्रयास किए।
नागपुर में कैसे भड़की हिंसा?
सोमवार शाम करीब 7:30 बजे मध्य नागपुर के चिटनिस पार्क इलाके में हिंसा भड़क उठी। अफवाह फैली कि औरंगजेब की कब्र को हटाने के आंदोलन के दौरान किसी ने धर्मग्रंथ जला दिया। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिससे 6 नागरिक और 3 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
पुलिस के अनुसार, रात 10:30 से 11:30 के बीच हंसपुरी इलाके में एक और झड़प हुई, जिसमें अनियंत्रित भीड़ ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और घरों तथा एक क्लीनिक में तोड़फोड़ की।
शांति बहाली के लिए पुलिस का रूट मार्च
पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंघल के नेतृत्व में चिटनिस पार्क चौक से लेकर भल्दारपुरा चौक, अग्रसेन चौक, सेवा सदन चौक और गीतांजलि टॉकीज चौक होते हुए हंसपुरी रोड तक रूट मार्च निकाला गया।
रूट मार्च का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में शांति स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना था कि हिंसा को दोहराने की कोई साजिश न हो। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि हिंसा को अचानक भड़काने के पीछे किन लोगों का हाथ था और क्या इसमें सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया गया था।
धारा 163 लागू, कर्फ्यू जारी
नागपुर शहर में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू कर दी गई है। पुलिस को हर हाल में शांति बनाए रखने और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंघल ने कहा,
“हम यह जांच कर रहे हैं कि यह हिंसा अचानक कैसे भड़की और कौन लोग इसके पीछे थे। यदि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया गया है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। कर्फ्यू की स्थिति को हालात के अनुसार बदला जाएगा।”
राजनीतिक घमासान शुरू
नागपुर हिंसा को लेकर सियासी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है।
फडणवीस: हिंसा पूर्व नियोजित थी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि यह हिंसा पहले से ही योजनाबद्ध थी। उन्होंने इसके लिए हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘छावा’ को भी जिम्मेदार ठहराया, जिसमें संभाजी महाराज पर औरंगजेब द्वारा किए गए अत्याचारों को दिखाया गया है।
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VHP की मांग
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने औरंगजेब की कब्र पर राजाराम महाराज और धनाजी जाधव का स्मारक बनाने की मांग की।
VHP नेता देवेश मिश्रा ने कहा:
“हम औरंगजेब का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह हिंसा औरंगजेब समर्थकों द्वारा पूर्व नियोजित थी।”
आदित्य ठाकरे का बीजेपी पर हमला
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने इस हिंसा के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा,
“नागपुर की हिंसा बीजेपी की पुरानी रणनीति का हिस्सा है। बीजेपी जब शासन में असफल होती है, तो हिंसा और दंगे भड़काती है। यही रणनीति उन्होंने मणिपुर में भी अपनाई थी, जिससे वहां निवेश आना बंद हो गया।”
आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने और औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग करने की सलाह दी।
एकनाथ शिंदे का बयान
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं पर निशाना साधते हुए औरंगजेब के महिमामंडन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा:
“औरंगजेब कौन है? हमें अपने राज्य में उसका महिमामंडन क्यों होने देना चाहिए? वह हमारे इतिहास पर एक धब्बा है।”
उन्होंने आगे कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने मराठा शासक छत्रपति संभाजी राजे को इस्लाम धर्म अपनाने का विकल्प दिया था, लेकिन जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें प्रताड़ित कर मार दिया गया।
निष्कर्ष
नागपुर हिंसा ने राज्य में सियासी माहौल गरमा दिया है। जहां पुलिस कानून-व्यवस्था को बहाल करने में जुटी है, वहीं राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में सोशल मीडिया की भूमिका और हिंसा के पीछे की असली वजहों की जांच जारी है। अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं और शांति बहाली के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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