कुंदरकी सीट पर पोस्टर ने बढ़ाई सियासी हलचल, सपा और बीजेपी में कांटे की टक्कर
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए आज सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू हो गई है। शुरुआती गिनती में पोस्टल बैलट की प्रक्रिया पूरी हो रही है, जिसके बाद ईवीएम के वोटों की गणना शुरू होगी। इन उपचुनावों में सबसे अधिक चर्चा मुरादाबाद की कुंदरकी सीट को लेकर हो रही है, जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीधा मुकाबला है।
बीजेपी का विवादित पोस्टर बना चर्चा का केंद्र
कुंदरकी सीट पर मतगणना से पहले ही बीजेपी की ओर से जारी एक पोस्टर ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस पोस्टर में बीजेपी प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह को कुंदरकी का “भावी विधायक” घोषित करते हुए बधाई दी गई है। पोस्टर में लिखा गया है,
“कुंदरकी में प्रचंड बहुमत से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह जी को कुंदरकी के विधायक बनने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।”
यह पोस्टर बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से लगाया गया है, जिससे यह चर्चा का विषय बन गया है।
सपा का गढ़ मानी जाती है कुंदरकी सीट
मुरादाबाद जिले की कुंदरकी सीट पर सपा का मजबूत प्रभाव रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में यहां से सपा प्रत्याशी जिया उर रहमान ने जीत दर्ज की थी। इस बार उपचुनाव में सपा ने फिर से मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगाया है। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी प्रमुख दलों ने मुस्लिम चेहरों को ही मैदान में उतारा है।
एग्जिट पोल में बीजेपी की बढ़त का अनुमान
हालांकि विभिन्न न्यूज चैनलों के एग्जिट पोल के मुताबिक, कुंदरकी सीट पर बीजेपी को बढ़त मिलती दिख रही है। यदि बीजेपी इस सीट को जीतती है, तो यह सपा के गढ़ में सेंध लगाने के समान होगा।
विवादों से भरा मतदान
20 नवंबर को हुए मतदान के दौरान कुंदरकी समेत अन्य सीटों पर गड़बड़ी के आरोप लगे। मीरापुर सीट पर मतदान के दौरान विवाद और आरोप-प्रत्यारोप ने इसे सुर्खियों में बनाए रखा। करहल, सीसामऊ, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर, और मीरापुर में भी मतदान शांतिपूर्ण ढंग से नहीं हो सका।
कुंदरकी सीट पर क्यों है सबकी नजर?
कुंदरकी विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और यहां सपा का प्रभाव लंबे समय से कायम है। बीजेपी का यह दावा कि वह इस सीट पर “प्रचंड बहुमत” से जीत हासिल करेगी, सपा के लिए चुनौती है। यह सीट न केवल क्षेत्रीय राजनीति, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी सियासी संकेत देगी।
क्या कहता है यह पोस्टर?
बीजेपी का यह पोस्टर जहां एक ओर पार्टी के आत्मविश्वास को दर्शाता है, वहीं इसे मतगणना से पहले सार्वजनिक करना सवालों को जन्म देता है। क्या यह जीत का संकेत है, या फिर समर्थकों का अति-उत्साह?
नतीजों का सस्पेंस बरकरार
अब तक के रुझानों में सपा और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। कुंदरकी सीट पर नतीजे केवल इस बात का फैसला नहीं करेंगे कि कौन जीतेगा, बल्कि यह भी बताएंगे कि बीजेपी सपा के गढ़ में अपनी पकड़ मजबूत कर पाई है या नहीं।
निष्कर्ष:
कुंदरकी उपचुनाव न केवल स्थानीय राजनीति के लिहाज से अहम है, बल्कि यह यह संकेत भी देगा कि उत्तर प्रदेश की सियासी हवा किस ओर बह रही है। अब सभी की निगाहें अंतिम नतीजों पर टिकी हैं, जो यह तय करेंगे कि कुंदरकी की जनता ने किस पर भरोसा जताया है।
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