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जापान में फिर भूकंप के तेज झटके: तोकारा द्वीप समूह में एक दिन में 183 बार हिली धरती

जापान: भूकंप के लिहाज़ से संवेदनशील माने जाने वाले जापान में एक बार फिर तेज़ भूकंप के झटके महसूस किए गए। शनिवार को जापान के तात्सुगो क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 5.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका एपीसेंटर जमीन के 10 किलोमीटर अंदर था। इससे कुछ दिन पहले अमामी कागोशिमा में भी 5.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था।

तोकारा द्वीप समूह में भूकंपों की बाढ़
सबसे चौंकाने वाली खबर जापान के तोकारा द्वीप समूह से आई है, जहां भूकंप की गतिविधियों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। 23 जून 2025 को अकेले एक दिन में यहां 183 बार भूकंप के झटके दर्ज किए गए। यह किसी भी सामान्य दिन की तुलना में कई गुना अधिक संख्या है।

इसके बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए।

  1. 26 जून को 15 बार
  2. 27 जून को 16 बार
  3. 28 जून को 34 बार
  4. 29 जून को 98 बार
    भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि क्षेत्र लगातार भूगर्भीय हलचलों की चपेट में है।

जापान: भूकंप का केंद्र क्यों?
जापान की भौगोलिक स्थिति इसे बार-बार भूकंपों का सामना करने को मजबूर करती है। यह देश प्रशांत महासागर में स्थित है और प्रशांत रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है। यह वह क्षेत्र है जहां तीन टेक्टोनिक प्लेट्स—पैसिफिक, फिलिपींस और यूरेशियन प्लेट्स—आपस में टकराती हैं। इस वजह से जापान में लगभग हर दिन किसी न किसी हिस्से में भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।

तोकारा: भूकंपों की ज़मीन
जापान के तोकारा क्षेत्र में कुल 12 द्वीप हैं, जिनमें लगभग 700 लोग रहते हैं। यह क्षेत्र हमेशा से भूगर्भीय रूप से सक्रिय रहा है।

  1. सितंबर 2024 में यहां 346 भूकंप दर्ज किए गए थे।
  2. दिसंबर 2021 में भी 308 बार भूकंप महसूस किए गए थे।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि तोकारा द्वीप समूह Earthquake Swarm यानी भूकंपों की श्रृंखला का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।

निष्कर्ष
जापान में बार-बार आ रहे भूकंप यह दर्शाते हैं कि देश के भूगर्भीय ढांचे को लेकर सतर्कता और तैयारी हमेशा जरूरी है। खासकर तोकारा द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों में लगातार हो रही हलचलों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जापान सरकार और वैज्ञानिक समुदाय इस दिशा में लगातार निगरानी और अनुसंधान कर रहे हैं, लेकिन आम नागरिकों को भी आपदा प्रबंधन की तैयारी रखनी होगी, क्योंकि प्रकृति की चेतावनियां अब और ज़ोर पकड़ती नज़र आ रही हैं।

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