सुधा देवदास: राज्य की पहली महिला पंचायत सदस्य बनीं ‘ड्रोन पायलट’, महिलाओं को दी प्रेरणा
मध्य प्रदेश की सुधा देवदास, जो राज्य की पहली महिला पंचायत सदस्य बन गई हैं जिन्होंने ‘ड्रोन पायलट’ का खिताब हासिल किया, आज महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं। उनका मानना है कि महिलाओं को विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी वह काम करना चाहिए जो उन्हें संतुष्टि और खुशी दे। सुधा कहती हैं, “भारत में लैंगिक समानता प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। किसी भी परिस्थिति में महिलाओं को निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए। उन्हें अपनी छिपी हुई क्षमताओं को पहचानना चाहिए और उन कार्यों को करना चाहिए जो उन्हें खुशी और संतुष्टि दें।”
51 वर्षीय सुधा, जो ‘कुदुम्बश्री’ की सामुदायिक संसाधन व्यक्ति हैं, को यह खिताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया। वह त्रिशूर जिले के माला के पास स्थित कुझूर पंचायत के वार्ड 6 से निर्वाचित सदस्य हैं और पिछले कई वर्षों से खेती में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
ड्रोन पायलट बनने की प्रेरक यात्रा
सुधा उन 49 महिलाओं में से एक थीं, जिन्हें चेन्नई में आयोजित ड्रोन प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना गया। कुदुम्बश्री में उन्होंने कई भूमिकाएँ निभाई हैं, जैसे कि जेंडर ट्रेनिंग कार्यक्रमों के लिए संसाधन व्यक्ति और ‘महिला राइस प्रोड्यूसर्स कंपनी’ नामक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की निदेशक।
सुधा और एल्सी ओसफ, जो एर्नाकुलम जिले के थुरावूर से हैं, को 25 अगस्त को महाराष्ट्र के जलगांव में आयोजित ‘लखपति दीदियों’ (मिलियनेयर सिस्टर्स) सम्मेलन में शामिल होने के लिए चुना गया। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी एक अनौपचारिक और दिलचस्प बातचीत हुई। सुधा बताती हैं, “हमारे महिला स्वयं सहायता समूह ‘प्रकृति’ के बारे में जानकारी देने के बाद, मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि मुझे ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण मिला है और मैं इसका उपयोग खेती में कीटनाशक और उर्वरक छिड़कने के लिए करती हूँ। इसके बाद उन्होंने मजाक में कहा, ‘अब आपके गांव के लोग आपको ड्रोन पायलट कहकर बुलाएंगे,’ और तभी से यह खिताब मेरे साथ जुड़ गया।”
कुदुम्बश्री के नेतृत्व की सराहना
कुदुम्बश्री के नेताओं ने सुधा के इस परिवर्तन पर आश्चर्य व्यक्त किया है। कुदुम्बश्री की जिला कार्यक्रम प्रबंधक यू मोनिषा ने कहा, “सुधा ने कुदुम्बश्री के विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में भाग लेकर खुद को एक संसाधन व्यक्ति के रूप में विकसित किया है। वह अब जेंडर समानता और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करने में सक्षम हैं।”
खेती में ड्रोन का प्रभाव
सुधा का मानना है कि ड्रोन का उपयोग खेती में बहुत लाभकारी है, खासकर कीटनाशक और उर्वरक के छिड़काव में। इससे समय की बचत होती है और ऑपरेशन के दौरान होने वाले दुष्प्रभाव भी कम होते हैं। केंद्र सरकार ने सुधा को 8 लाख रुपये का ड्रोन मुफ्त में प्रदान किया है, जिससे उनके कृषि कार्यों में और अधिक प्रगति हो रही है।
निष्कर्ष
सुधा देवदास की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उन लाखों महिलाओं की प्रेरणा है जो अपने भीतर की संभावनाओं को पहचानकर अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं। सुधा ने यह साबित कर दिया कि सही अवसर और दृढ़ संकल्प के साथ महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में असाधारण ऊंचाइयाँ छू सकती हैं। उनके जैसे उदाहरण समाज में महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, और उनके द्वारा उठाए गए साहसी कदमों ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया है।
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