सुप्रीम कोर्ट ने दिया जेट एयरवेज के एसेट्स बेचने का आदेश, फिर कभी नहीं भर पाएगी उड़ान
भारत में सबसे चर्चित बजट एयरलाइंस में से एक, जेट एयरवेज को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बंद पड़ी एयरलाइंस के एसेट्स को बेचने का आदेश दिया है, जिससे अब यह एयरलाइन दोबारा उड़ान नहीं भर पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करते हुए दिया है, ताकि इस मामले में संपूर्ण न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का विशेष संवैधानिक अधिकार का उपयोग
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया, जो उसे किसी भी लंबित मामले में पूर्ण न्याय प्रदान करने के लिए आदेश और डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस निर्णय को सुनाते हुए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले पर कड़ी टिप्पणी की और जेट एयरवेज के पुनर्गठन की योजना (रेसॉल्यूशन प्लान) को रद्द करने का आदेश दिया।
जेट एयरवेज के खिलाफ कोर्ट का निर्णय
जेट एयरवेज का रेसॉल्यूशन प्लान, जिसे पहले एनसीएलएटी द्वारा स्वीकृत किया गया था और जिसके अंतर्गत कंपनी की ओनरशिप जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को सौंपने की मंजूरी दी गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। इस मामले में प्रमुख बैंकों, जैसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले को चुनौती दी थी।
जस्टिस पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए बैंकों की याचिका स्वीकार कर ली और एनसीएलएटी के फैसले को खारिज कर दिया। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जेट एयरवेज के एसेट्स का लिक्विडेशन लेंडर्स, वर्कर्स और अन्य हितधारकों के हित में है।
एसेट लिक्विडेशन से होंगे कर्ज और लंबित खर्चों का निपटारा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, एसेट्स लिक्विडेशन के अंतर्गत जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचा जाएगा और इससे मिली रकम का उपयोग कंपनी के कर्जों और अन्य लंबित खर्चों को चुकाने के लिए किया जाएगा।
बैंकों का कोर्ट में रुख और एनसीएलएटी का निर्णय
गौरतलब है कि एनसीएलएटी ने इस वर्ष 12 मार्च को जेट एयरवेज के पुनर्गठन योजना को स्वीकृति दी थी और इसके स्वामित्व को जेकेसी को सौंपने की मंजूरी दी थी। इस फैसले का भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने विरोध करते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी। बैंकों का मानना था कि जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज का रेसॉल्यूशन प्लान हितधारकों के लिए उचित नहीं है।
एक युग का अंत
जेट एयरवेज, जिसने भारत में किफायती हवाई यात्रा को संभव बनाया था, आज इस निर्णय के बाद इतिहास बन जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट है कि जेट एयरवेज के एसेट्स को बेचा जाएगा और कंपनी फिर कभी दोबारा उड़ान नहीं भर पाएगी।
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