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महाराष्ट्र महागठबंधन में खींचतान: संरक्षक मंत्री पद को लेकर बढ़ा विवाद

महाराष्ट्र में महागठबंधन सरकार बनने के बाद से ही आपसी खींचतान और असहमति की खबरें सामने आती रही हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे के बीच कई मुद्दों पर तनाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। ताजा विवाद संरक्षक मंत्री (गार्जियन मिनिस्टर) की नियुक्तियों को लेकर सामने आया है।

रायगढ़ और नाशिक जिलों को लेकर शिवसेना की नाराजगी
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने संरक्षक मंत्रियों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें कैबिनेट मंत्रियों को विभिन्न जिलों का गार्जियन मिनिस्टर नियुक्त किया गया। इस सूची में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रायगढ़ जिले की जिम्मेदारी एनसीपी की अदिति तटकरे को और नाशिक जिले की जिम्मेदारी बीजेपी के गिरीश महाजन को सौंपी।

हालांकि, शिवसेना (शिंदे गुट) ने रायगढ़ और नाशिक जिलों की मांग की थी। इन दोनों जिलों पर अधिकार न मिलने से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बेहद नाराज हैं। उनकी नाराजगी के बाद सरकार ने दोनों जिलों के गार्जियन पदों पर स्टे लगा दिया।

एनसीपी और बीजेपी की नाराजगी
स्टे का फैसला केवल शिवसेना को खुश करने के लिए लिया गया, लेकिन इसका असर महागठबंधन के अन्य घटकों पर पड़ा। एनसीपी और बीजेपी के नेता इस फैसले से नाराज हो गए हैं। रायगढ़ जिले में पहले से ही एनसीपी और शिवसेना के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई थी। ऐसे में एनसीपी के अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री बनाने के बाद शिवसेना की नाराजगी को देखते हुए स्टे लगाना एनसीपी नेताओं को नागवार गुजरा।

अजित पवार पहले भी जाहिर कर चुके हैं नाराजगी
यह पहली बार नहीं है जब महागठबंधन में मतभेद सामने आए हैं। इससे पहले एनसीपी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के फैसलों पर नाराजगी जाहिर की थी। फडणवीस ने एनसीपी के दो कैबिनेट मंत्रियों, चिकित्सा शिक्षा विभाग मंत्री हसन मुश्रीफ और सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटील के निर्णयों को रद्द कर दिया था।

अजित पवार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि महागठबंधन को मजबूती से आगे बढ़ाना है तो फैसले लेने से पहले आपसी चर्चा जरूरी है।

महागठबंधन में बढ़ते मतभेदों के संकेत
महागठबंधन सरकार के तीनों प्रमुख घटकों – बीजेपी, एनसीपी (अजित पवार गुट), और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच मतभेद लगातार गहराते जा रहे हैं। रायगढ़ और नाशिक जिलों को लेकर विवाद इसका ताजा उदाहरण है।

इस विवाद से यह साफ हो गया है कि गठबंधन में विभिन्न दलों के बीच आपसी संवाद की कमी और प्राथमिकताओं में टकराव है।

निष्कर्ष
महाराष्ट्र में महागठबंधन सरकार एक मजबूत राजनीतिक धुरी के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है, लेकिन अंदरूनी मतभेद और खींचतान इसकी स्थिरता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। संरक्षक मंत्री पद का विवाद इस बात का संकेत है कि अगर सभी घटकों के बीच बेहतर संवाद नहीं हुआ तो सरकार के लिए आगे की राह मुश्किल हो सकती है।

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