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महाराष्ट्र में ढाई लाख लोगों को हुआ आई फ्लू, जानें किस क्षेत्र में हैं सबसे ज्यादा मरीज?

हाराष्ट्र: मानसून शुरू होते ही आंखों से जुड़े इनफेक्शंस शुरू हो जाते हैं। इस बार भी बरसात से ही देशभर में आई फ्लू का कहर छाया हुआ है। ऐसे में महाराष्ट्र से पिछले कुछ दिनों में आंखों के संक्रमण से पीड़ित मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की है कि छह अगस्त तक महाराष्ट्र में दो लाख 48 हजार 851 मरीज हैं।

क्या होता है आई फ्लू?

आई फ्लू आंखों को संक्रमित करने वाली एक ऐसी बीमारी है, जो इन्फेक्शन की वजह से होती है। इस बीमारी में आंख की उस झिल्ली में संक्रमण होता है, जो आंख को ढक कर रखती है। इसे कंजंक्टिवाइटिस या PINK EYE भी कहा जाता है। यह रोग इंफेक्शन पैदा करने वाले वायरस के कारण किसी भी शख्स को हो सकता है। इस बीमारी में आंखों को कभी-कभी नुकसान भी पहुंचता है। डॉक्टरों के मुताबिक, जिस वायरस से यह बीमारी होती है। उनमें एडीनोवायरस, हर्पीस, सिंपल्स वायरस, पोल्स वायरस और मिक्सोवायरस शामिल है। इस बीमारी में आंखों के सफेद हिस्से में संक्रमण फैल जाता है। जिससे मरीज को देखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

आई स्पेशलिस्ट के अकॉर्डिंग, इसे कंजंक्टिवाइटिस वायरल कहा जाता है। इसमें कुछ लाल और खुजली वाली आंखों से पीड़ित मरीजों को देखा जाता है। यह महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा नेत्र संक्रमण वाले पांच जिले है जहां सबसे ज्यादा मरीज है। मुंबई में कुल 1,882 मरीज पाए गए हैं, बुलढाणा में 35,466, जलगांव में 19,632 , पुणे में 16,105, नांदेड़ में 14,096 और अमरावती में 12,290 लोग इस संक्रमण से जूझ रहे हैं।

लक्षण और बचाव के तरीके

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शशि जैन ने बताया कि आई फ्लू एक प्रकार का संक्रमण है। यह बीमारी ज्यादातर मानसून सीजन में ही आती है। यह बैक्टीरियल इनफेक्शन और वायरल इनफेक्शन भी हो सकता है। इन दिनों ज्यादातर वायरल इनफेक्शन वाले मरीज ज्यादा आ रहे हैं, इसमें मरीजों के आंख में पानी आना, आंख का लाल हो जाना और चुभन लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई बार मरीजों के आंख में ब्लड भी आ जाता है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में यह बीमारी फैल रही है।

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