सर्वोच्च न्यायालय के चार ऐतहासिक फैसले
मुंबई– न्यायमूर्ति रंजन गोगोई बतौर अपने मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के आखिरी दिनों में धुआंधार फैसले सुनाए जा रहे है। जहां आज मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 4 अहम फैसले सुनाए जिनका फैसला पहले से ही सुरक्षित रख लिया गया था।
कौन से है वो 4 फैसले ?
1)सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाना।
यह फैसला 2010 में दायर की गई याचिका के तहत सुनाया गया है, जिसमे दिल्ली के शीर्ष अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी कि , सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना के अधिकार के अंतर्गत आएगा। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि सूचना एवं निजता का अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू है। इस फैसले के पश्चात आम आदमी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की चल-अचल संपत्ति से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकेगा। हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के चयन एवम नियुक्ति के तहत कोलोजियम के फैसलों की जानकारी प्राप्त हो सकेगी।न्यायाधीशों की वरिष्ठता, क्रम एवम तबादलों से जुड़ी जानकारी हासिल हो सकती है।मुख्य न्यायाधीश बनने तथा कार्यकाल से जुड़ी जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
मुख्य न्यायाधीश ने आगे यह भी कहा कि वरिष्ठता क्रम में यदि कोई बदलाव होता है, तो इसकी जानकारी सूचना के अधिकार के अंतर्गत नहीं आएगी। कोलोजियम द्वारा जजों के नियुक्ति की सिफारिश की जानकारी प्राप्त हो सकती है लेकिन सिफारिश की वजह बताना सूचना के अधिकार के अंतर्गत नहीं आएगा। इन सब के साथ साथ सरकार,प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, विधि एवम कानून मंत्री से जुड़े पत्राचार की जानकारी भी नहीं प्राप्त हो सकेगी। ऐसी कोई भी जानकारी नहीं मिलेगी जिससे न्यायालय के किसी भी अधिकारी के निजता का हनन हो। सर्वोच्च न्यायालय ने अंत मे सीआईओ को यह अधिकार दिया कि वे अपने विवेक से यह तय करें कि कौन कौन सी दूसरी जानकारी साझा की जायेगी और कौन सी नहीं।
2)राफेल एवं चौकीदार चोर है
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर 2019 लोकसभा चुनाव के वक्त चौकीदार चोर कहकर अपने बयान को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से जोड़ा था। जिसके पश्चात राहुल गांधी के बयान पर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने उनके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अवमानना की याचिका दायर की थी। उस याचिका का फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने 10 मई को ही सुरक्षित रख लिया था जिसपर आज सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि वे राजनीति को न्यायालय के फैसलों के बीच न लाएं तथा फैसला सुनाने के पश्चात मुख्य न्यायाधीश ने इस मुकद्दमे को बंद कर दिया।
राफेल पर कांग्रेस के नेता जैसे प्रशांत किशोर, अरुण शौरी,यशवंत सिन्हा ने सर्वोच्च न्यायालय के दिसंबर 2018 के फैसले पर एक पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसपर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को क्लीन चिट देते हुए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता अपने याचिका पर कोई भी नया सबूत पेश नहीं कर पाए । इस रक्षा सौदे में कोई भी धांधली साबित नहीं हो सकी इस कारण पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह कहा कि न्यायालय किसी भी एजेंसी को किसी भी तरह की जाँच का आदेश नहीं देगा। सीबीआई चाहे तो इस मामले में आगे जांच कर सकती है।
3)सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश वर्जित
सर्वोच्च न्यायालय ने सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर दिए गए दिसंबर 2018 के फैसले पर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को लंबित करते हुए मामला बड़ी संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है।आज ही इस फैसले के आने की संभावना थी, लेकिन इस मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने 3:2 के बहुमत से यह फैसला अब 7 जजों वाली संवैधानिक पीठ को भेज दिया है। मुख्य न्यायाधीश का कहना है कि, ऐसे पुनर्विचार याचिका दायर करने का मकसद धर्म पर वाद-विवाद शुरू करना है। महिलाओं के प्रवेश पर लगी बंदी केवल सबरीमला ही नहीं अपितु और भी दूसरे धार्मिक स्थलों में भी प्रचलित है। अब इस मामले की सुनवाई एक दूसरी संवैधानिक पीठ करेगी।
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