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नाबालिगों को सोशल मीडिया अकाउंट चलाने के लिए लेनी पड़ेगी माता-पिता की अनुमति, सरकार का नया नियम

ई दिल्ली: बड़े हो या बच्चे, हर किसी पर सोशल मीडिया का जादू छाया हुआ है। सोशल मीडिया की बढ़ती रफ्तार का असर बच्चों के मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया अकाउंट का एडिक्शन बच्चों को डिप्रेशन में डाल रहा है। बच्चों पर पड़ रहे इस निगेटिव इंपैक्ट को रोकने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल लाया जा रहा है। इसमें टीनेजर्स यानी 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए कई तरह के प्रावधान किए गए हैं, जिसके तहत बच्चों के इंटाग्राम, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया अकाउंट बनाने पर बैन लगाया जा सकता है।

इसके साथ ही कई अन्य तरह के नियम और शर्तें लागू की जा रही हैं। इन सबके बावजूद सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए अब बच्चों को माता-पिता की अनुमति लेनी पड़ेगी। इसका मतलब बच्चे किन नाम और अकाउंट से सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, उसकी जानकारी उनके माता-पिता को होगी।

क्या है नए नियम

नए नियम के तहत कोई भी टेक कंपनी बच्चों के डेटा को एक्सेस नहीं कर पाएगी। उनके डेटा को एक्सेस करने के लिए टेक कंपनी को पहले माता-पिता से इजाजत लेनी होगी। इसके अलावा कोई भी कंपनी बच्चों को टागरेट करने वाले विज्ञापन नहीं दिखाएगी। ऐसा करने पर सजा का प्रावधान किया जाएगा। बच्चों किसी भी वेबसाइट को एक्सेस नहीं कर पाएंगे। हालांकि, बच्चों को एजूकेशन और ऑनलाइन एजूकेशन, स्कॉलरशिप जैसी वेबसाइट और ऐप्स के इस्तेमाल की छूट होगी। वहीं सरकार की ओर से कुछ एजूकेशन बेवसाइट को स्टूडेंट डेटा कलेक्ट करने की छूट दी जा सकती है।

क्यों लाए गए नए नियम ?

बच्चों का स्क्रीन टाइम तेजी से बढ़ता जा रहा है। जिसका उनके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो देखने की गतिविधियों में इजाफा दर्ज किया गया है। बच्चे फिजिकल एक्टिविटी में नहीं शामिल होते हैं। इससे बच्चों की याददाश्त कमजोर हो रही है। साथ ही एकाग्रता कम होने की शिकायत है। वहीं कुछ रिपोर्ट्स में ऑनलाइन गेमिंग बच्चों के हिंसक होने की वजह बना हुआ है। भारत की तरह ही चीन में भी बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने का नियम जारी किया जा रहा है। जिसमें एक दिन में अधिकतम 2 घंटे डिवाइस एक्सेस करने की इजाजत होगी।

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